बीकानेर: RAS प्री परीक्षा में महिलाओं की निजता का हनन

दौसा
राजस्थान में 27 अक्टूबर को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर खास इंतजाम किए गए थे। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी से लेकर पुलिस का साइबर सेल एक्टिव था। नकल रोकने के लिए विशेष दस्ते तैनात किए गए थे। परीक्षा केंद्रों पर चौकसी भी बढ़ा दी गई थी लेकिन इस बीच कई परीक्षा केंद्रों से शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई। बीकानेर में जहां महिला परीक्षार्थी की पुरुष गार्ड द्वारा आस्तीन के स्लीव्स काटे गए वहीं दौसा के पंडित नवल किशोर शर्मा पीजी कॉलेज परीक्षा केंद्र में पुरुष गार्ड ने महिला परीक्षार्थी के गहने उतारे गए। ऐसे में आरएएस प्रारंभिक परीक्षा में महिलाओं की निजता तार तार होती नजर आई। बीकानेर की घटना पर जहां राष्ट्रीय महिला आयोग ने प्रसंज्ञान लेते हुए राजस्थान के मुख्य सचिव से पूरे घटनाक्रम को लेकर जवाब मांगा है। वहीं अब दौसा की तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे में आरएएस प्रारंभिक परीक्षा में परीक्षा के नाम पर किसी को महिलाओं को अपमानित करने का अधिकार किसने दिया? क्या इस तरह के सरकारी निर्देश हैं? या फिर किसी ने ओवर कॉन्फिडेंट में खुद के फैसले से यह सब कुछ कराया है। जो भी हो लेकिन यह तस्वीरें शर्मनाक हैं।

आरएएस प्रारंभिक की परीक्षा देने आई लड़कियों एवं महिलाओं की अस्मिता का ख्याल नहीं रखा गया। भीड़ के बीच महिलाओं के कपड़े कतरने की तस्वीरें सामने आईं। वहीं दौसा में महिला परीक्षार्थी की कान की बाली पुरुष गार्ड ने खोला। पहली बात तो सार्वजनिक रूप से महिलाओं के कपड़े काटना या फिर आभूषण खोलना ही अपने आप में महिलाओं की निजता का हनन है। वहीं पुरुष गार्डों के हाथों इस तरह का कृत्य करना निश्चित रूप से महिलाओं की निजता के हनन के साथ-साथ अपमानित करने वाला कृत्य है। परीक्षा के बाद अब महिला संगठनों से जुड़ी महिलाएं और राजनीतिक दलों की महिलाएं भी इन तस्वीरों को गलत बता रही हैं। दोसा जिला परिषद के सदस्य और बीजेपी नेता नीलम गुर्जर ने कहा कि महिलाओं के आभूषण पुरुषों के हाथों खोलना और उनके कपड़े कतरना निश्चित रूप से महिलाओं के निजता का हनन है। इसके लिए सरकार को जवाब देना चाहिए। वहीं दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी परीक्षाओं में महिलाओं की निजता का ध्यान रखा जाए और उन्हें इस तरह सार्वजनिक रूप से अपमानित नहीं किया जाए।

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