नए फैसलों से मजबूत होती छत्तीसगढ़ की पौनी-पसारी की परम्परा

रायपुर
छत्तीसगढ़ के गांवों का सामाजिक ताना-बाना आज भी जीवंत है। गांव की सामाजिक संरचना में लोगों में परस्पर आपसी संबंध और भाईचारा अभी भी बना हुआ है। खेती किसानी और इनसे जुड़े काम में एक दूसरे की निर्भरता इन्हें आपस में जोड़े रखती है। गांव में कुम्हारी, बढ़ाईगिरी, लोहारी, चर्मशिल्प, तेलपेराई, धोबी जैसे कई व्यवसाय ग्रामीण जन-जीवन से सीधे जुड़े हैं। साप्ताहिक बाजार और पौनी पसारी परम्परा छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। वर्तमान परिस्थिति में गांव में पौनी-पसारी की परम्परा भले ही कमजोर हुई हो, लेकिन आज भी यह मौजूद है। गांव में जब तक यह परम्परा सुदृढ रही, लोगों को अपने काम काज के लिए भटकना नहीं पड़ा। बदलती हुई परिस्थतियों में भी गांव के कमजोर तबकों को रोजगार दिलाने में पौनी पसारी व्यवस्था महत्वपूर्ण रही है इसलिए राज्य सरकार इस परम्परा को पुनर्जीवित कर रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा हाल में ही गांवों में रहने वाले भूमिहीन मजदूरों और शिल्पियों के जीवन में उजियारा लाने के लिए दो महत्वपूर्ण फैसले किए गए हैं। ग्रामीण भूमिहीन मजदूरों और पौनी पसारी व्यवस्था से जुड़े लोगों को साल में 6 हजार रूपए की आर्थिक सहायता देने के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना और पौनी पसारी व्यवस्था से जुड़े व्यवसायों को मजबूत करने के लिए तेलघानी, चर्मशिल्प, लौहकर्म और रजककार बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इन बोर्डो के गठन की अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। इन दोनों योजनाओं का व्यापक असर ग्रामीण जनजीवन पर पड़ेगा। गांव में रोजगार और व्यवसाय के नए अवसर भी बढ़ेगे। इससे परम्परागत व्यवसाय से जुड़े लोगों को बड़ा सहारा मिलेगा। छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2018 में नई सरकार के गठन के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की पहल से ग्रामीण जन जीवन में नई चेतना आयी है। सुराजी गांव योजना से एक तरफ जहां खेती किसानी की ओर फिर से किसान अग्रसर हुए, वहीं न्याय योजनाओं से उनकी आर्थिक स्थिति और रहन सहन में काफी परिवर्तन आ रहा है। गांवों के गौठानों में गोधन न्याय योजना में खरीदे गए गोबर से महिला समूहों को वर्मीकम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट तैयार करने में रोजगार दिया जा रहा है।

पौनी पसारी योजना में इन कार्यों से जुुड़े लोगों के लिए नगर-निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में नए बाजार बनाए जा रहे हैं, जिससे इन लोगों को अपने काम-काज के लिए सुविधाजनक स्थान मिल सके। उन्हें अपने कारोबार के जरिए नियमित रूप से आमदनी मिल सके। इस योजना में असंगठित क्षेत्र के परंपरागत व्यवसायी एवं स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को सघन शहरी क्षेत्रों में व्यवसाय के लिए दस रूपए दैनिक शुल्क पर चबूतरा उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस योजना में लगभग 12000 स्थानीय बेरोजगारों व उनके परिवारजनों को उनके निवास के समीप ही स्थाई रोजगार मिल रहा है। योजना के तहत 261 पौनी पसारी बाजार स्वीकृत किए गए हैं। इनमें 58 पूर्ण कर लिए गए हैं तथा 107 निमार्णाधीन हैं। 

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