छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट फूड तैयार करने वाली महिलाएं विरोध में उतरेंगी सड़कों पर

रायपुर
राज्य सरकार पहले महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से बच्चों के भरण-पोषण का काम करती थी लेकिन अब इन कार्यो को छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के द्वारा किया जाएगा। इससे नाराज 32 जिलों की छत्तीसगढ़ रेड टू ईट फूड निर्माणकतार्ओं की महिलाएं सड़क पर उतरने को मजबूर हो गई है क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिया से लेकर कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन सौंप चुकें है इसके बाद भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। 5 जनवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई है लेकिन इससे पहले महिलाएं 10 दिसंबर को सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगी, इसके बाद 15 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरने में बैठक जाएंगी।

छत्तीसगढ़ रेडी टू ईट फूड निर्माकर्ता महिला संघ की कार्यकतार्ओं ने आज प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता के माध्यम से बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 7 अक्टूबर 2004 को आदेश दिया है कि आंबनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार व्यवस्था से ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया और पूरक पोषण आहार महिला समूह, महिला मंडल एवं स्थानीय समुदाय के माध्यम से दिया जाना है। इस हेतु राज्य में व्यवस्था करते हुए 1646 महिला स्वसहायता समूहों द्वारा रेडी टू ईट प्रदाय किया जा रहा है। प्रत्येक समूह के पास आटा चक्की, पल्वलाइजर, पैकिंग मशीन, वजन मशीन, थ्री फेस कनेक्शन है और लगभग 5-10 लाख निवेश पंूजी है। प्रत्येक समूह में 25-30 आंगनबाड़ी केंद्रों को वितरण का कार्य करती है इसी का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर में 32 प्रतिशत की कमी आई है और 1 करोड़ 40 लाख बच्चे कुषोषण मुक्त हुए है वहीं 80 हजार से अधिक महिलाएं एनिमिया से मुक्त हुई है।

इसके बाद भी राज्य सरकार इन कार्यों को छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को देने जा रही है। इसके खिलाफ महिला समूह की सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है जिसकी सुनवाई 5 जनवरी 2022 को होगी। इससे पहले दिसंबर माह में छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले छत्तीसगढ़ रेडी टू ईट फूड निर्माणकर्ता की महिलाएं सड़क पर उतरेंगी और 10 दिसंबर को एक दिवसीय धरना देंगी, इसके बाद भी अगर राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो 15 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगी।

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