यूएस ने STEM-OPT से जुड़े नियमों में दी ढील, भारतीय स्टूडेंट्स को मिलेगा फायदा

 
मुंबई 

यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप ऐंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने अपने पहले लिए उस फैसले को उलट दिया है जिसमें कहा गया था कि ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) से गुजरने वाले अंतरराष्ट्रीय एसटीईएम छात्रों को कस्टमर वर्क साइट्स पर नहीं रखा जा सकता। यूएससीआईएस ने शुक्रवार की रात को इन प्रतिबंधों को हटाते हुए अपनी वेबसाइट पर बदलाव किए। हालांकि यह भी दोहराया कि नियोक्ताओं को अपने प्रशिक्षण दायित्वों को पूरा करने की जरूरत फिर भी होगी। 
 
इसके अलावा, 2016 के एसटीईएम-ओपीटी विनियमों को ध्यान में रखते हुए, यूएससीआईएस व्यवस्थाओं पर कहा गया है कि 'लेबर फॉर हायर' की व्यवस्था की जाए जहां एक सशक्त नियोक्ता-कर्मचारी संबंध प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। ट्रेनिंग को पूरा करने की आवश्यकता और एक व्यापक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध का अस्तित्व, दोनों हमेशा एसटीईएम-ओपीटी कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग रहा है। 

अंतरराष्ट्रीय छात्र 12 महीने के ओपीटी के लिए पात्र हैं जिसके अंतर्गत वे अमेरिका में काम कर सकते हैं। जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में अपनी डिग्री पूरी की है, वे 24 महीने के आगे ओपीटी विस्तार के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हैं। ओपन डोर्स सर्वे (2017) इंगित करता है कि अमेरिका में लगभग 1.9 लाख भारतीय छात्र हैं, जिनमें एसटीईएम पाठ्यक्रम के छात्र सबसे ज्यादा हैं। 

साइट पर दिखा था नियमों में बदलाव 
इमीग्रेशन एजेंसी के थर्ड पार्टी प्लेसमेंट (कस्टमर वर्कसाइट पर) के निषेध पर पहले के स्टैंड को नियमों में औपचारिक परिवर्तन के माध्यम से पेश किए जाने के बजाए इसकी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया था। अप्रैल में प्रकाश में आने वाले इस स्टैंड में बदलाव का मतलब था कि ओपीटी के तहत एसटीईएम छात्रों के प्रशिक्षण को नियोक्ता के स्वयं के कामकाजों में ही इनहाउस किया जा सकता था। इसने अंतरराष्ट्रीय एसटीईएम छात्रों के लिए काम के अवसरों को कम कर दिया था। 

स्टूडेंट्स के पास जॉब का मौका 
आईटी सेवा या परामर्श कंपनियां, या स्टाफिंग फर्म्स जो आम तौर पर इन छात्रों को कस्टमर वर्कसाइट पर चल रही टीमों के साथ रखती थीं, अब उन्हें नहीं ले सकती थीं। न्यूयॉर्क स्थित इमीग्रेशन अटॉर्नी और लॉ फर्म के संस्थापक सायरस साइरेट मेहता ने बताया, 'यूएससीआईएस ने एसटीईएम-ओपीटी छात्रों की ऑफसाइट प्लेसमेंट को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं करके अपने पिछले फैसले को उलट दिया है। यह भारतीय छात्रों के लिए एक मौके जैसा है।'
 

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