PSC घोटाले में घिरी सरकार, CM की भांजी की भर्ती की भी जांच हो: अजय सिंह

भोपाल
विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर व्यापमं घोटाले का मामला उछलने से शिवराज सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती है। व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी की डायरी में 'मामाजी' और 'वीआईपी' नाम के जिक्र का खुलासा होने के बाद कांग्रेस ने सरकार को चौतरफा घेरने की शुरुआत कर दी है| पीएससी घोटाले को लेकर शहर कांग्रेस कमेटी द्वारा गुरुवार को पीएससी कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सीएम शिवराज पर सीधा हमला बोला है|

अजय सिंह ने हाल ही में पीएससी की भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले में 'व्हीआईपी' 'मामाजी' शब्द का दस्तावेजों में उल्लेख होने पर कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भांजी की पीएससी द्वारा की गई भर्ती के मामले में हुई गड़बड़ी का मुद्दा भी कांग्रेस पार्टी ने उठाया था। उस समय नियमों को ताक पर रख कर भांजी का चयन किया गया था। वर्ष 2008 में लोकसेवा आयोग की जारी अंतिम परिणाम सूची में मुख्यमंत्री की भांजी का चयन किया गया था। इसमें पात्र सभी परीक्षार्थियों को दरकिनार करते हुए पिछड़ा वर्ग आरक्षित पद पर उप जिलाधीश के रूप में रितु चौहान का चयन किया गया था। रितु चौहान द्वारा भरे गए परीक्षा फॉर्म में ही भारी गड़बड़ियां थीं लेकिन उन्हें मामा के मुख्यमंत्री होने का लाभ मिला। श्री सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की प्रतिष्ठा पूरे देश में थी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में पीएससी और व्यापमं सहित वे सभी संस्थान घोटालों के अड्डे बन गए जो प्रदेश के युवाओं का भविष्य संवारते हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों के प्रमुख के रूप में ऐसे लोगों को मनमाने तरीके से अपात्र होने के बाद भी नियुक्त किया गया।

पीएससी के अध्यक्ष जैसे पद पर एक कागज के टुकड़े पर लिखे नाम के आधार पर नियुक्ति की गई इस नियुक्ति की सिफारिश आरएसएस द्वारा की गई थी और डॉ प्रदीप जोशी को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया । इसी तरह 5 जून 2012 को भी अशोक कुमार पाण्डे को मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष बनाया जो पूरी तरह गैर संवैधानिक था । व्यापमं में भी इसी तरह की नियुक्तियां की गईं जो घोटाले के रूप में सामने आईं।

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