किसानों की आत्महत्या पर विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने किया वाकआउट

रायपुर। विधानसभा में आज एक बार फिर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करते हुए सदन की कार्रवाई से वाकआउट कर दिया। मामला यह था कि प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने किसानों की आत्महत्या का मामला उठाया था और मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी और सदन की कार्रवाई से वाकआउट कर दिया।

प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में किसानों को रीढ की हड्डी कहते हैं लेकिन किसानों की सुध लेने वाला कोई नही है। आत्महत्या करने वाले किसानों पर ही आरोप लगा दिया जाता है, आत्महत्या की जांच होनी चाहिए और मृत किसानों के परिजनों को कितना मुआवजा दिया गया। इसका जवाब देते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन को बताया कि अप्रैल 2020 से एक फरवरी 2021 तक की अवधि में कुल 141 किसानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या की है। पिछले 15 सालों के कार्यकाल में कितने किसानों ने आत्महत्या की, यह हमने देखा है। भाजपा किसानों की आत्महत्या पर राजनीति कर रही है। पिछली सरकार में भी किसानों की आत्महत्या पर कभी मुआवजा नही दिया गया, इसकी कोई नीति भी नही है।

धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार के पास इतना भी वक्त नही है कि आत्महत्या करने वाले किसानों के घर जाकर सांत्वना दे दे। सहानुभूति पूर्वक सरकार को आर्थिक मदद के बारे में सोचना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली सरकार में चंद्रशेखर साहू कृषि मंत्री थे, उन्हीं के गांव में एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी, तब धनेंद्र साहू प्रदेश अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में हम उस गांव में गए थे। हम सबके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया था। हम पेशी में खड़े होते थे। इस पर कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि पिछली सरकार में मैंने ये सवाल लगाया था कि आत्महत्या करने वाले कितने किसानों को मुआवजा दिया गया। मुझे तब जवाब दिया गया था कि एक भी किसान को मुआवजा नहीं दिया गया।
इस बीच भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि कोंडागांव जिले के किसान धनीराम ने आत्महत्या की थी। उसके अभिलेखों और फसल गिरदावरी में त्रुटि पाए जाने की वजह से पटवारी डोंगर नाग को निलंबित कर दिया गया। नकली खाद बीज को लेकर किसान ने आत्महत्या की, क्या जांच हुई? इस पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन को बताया कि  आत्महत्या करने वाले किसानों में से सिर्फ एक किसान के पास से सुसाइड नोट मिला था। नकली खाद बीज का मामला सामने आने के बाद राजनांदगांव में छापा मारा गया। भाजपा से जुड़ा एक कारोबारी का नाम सामने आया। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरू कर दिया और सत्ता पक्ष के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन की कार्रवाई से वाकआउट कर दिया।

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