उच्च शिक्षा विभाग का आदेश दरकिनार, कॉलेजों की फीस फिक्स करने गंभीर नहीं प्रदेश के विश्वविद्यालय

भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 1300 निजी कॉलेजों की फीस निर्धारित करने के लिए विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। चार साल में विवि अपनी तरफ से फीस निर्धारित करने वाली कमेटियां तक गठित नहीं कर पाए हैं। जबकि अगले सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने में चंद माह ही शेष हैं।

सूबे के पारांपरिक विश्वविद्यालयों को नया सत्र शुरू होने से पहले निजी कॉलेजों की फीस तय करना है। सत्र में प्रवेश शुरू होने में चंद माह ही शेष हैं, लेकिन विवि अभी तक फीस निर्धारित करने के लिए समितियां तक नहीं बना सके हैं। जबकि विभाग ने समस्त विश्वविद्यालयों को 28 दिसंबर 2017 को फीस तय करने का दायित्व दिया था। इसको लेकर विवि और विभाग के अधिकारियों के बीच एक बैठक हो चुकी है।

बैठक में विश्वविद्यालयों ने सेंट्रल कमेटी गठित कर कॉलेजों की फीस तय करने का निर्णय हुआ था। कमेटी का गठन विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर करना है। गत वर्ष जीवाजी ग्वालियर और डीएविवि इंदौर में सेंट्रल कमेटी गठित हो चुकी थींं, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। वहीं, बीयू की कमेटी आधी अधूरी फाइल धूल खा रही हैं।

फीस तय कराने टीचर्स व स्टाफ की जानकारी ली जाएगी। इसमें उनका वेतन और कॉलेज संचालन के खर्च को शामिल किया जाएगा। 60 फीस कॉलेजों में कोड 28 के तहत फैकल्टी ही नहीं है। विवि द्वारा फीस तय होने से फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा। कॉलेज उन्हीं को वेतन दे पाएंगे, जो दस्तावेजों में शिक्षक के तौर पर पदस्थ होंगे। शिक्षकों को 25 हजार की जगह 4 से 5 हजार रुपए तक दिए जाते हैं। अब उन्हें वहीं वेतन दिया जाएगा, जो विवि को बताया जाएगा।

विश्वविद्यालयों से संबंद्ध कॉलेजों में बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमएससी, एमकॉम कोर्स की फीस नॉडल कॉलेज तक करते हैं। निजी कॉलेज फीस वृद्धि संबंधी प्रपोजल नोडल कॉलेज को देते हैं। प्राचार्य बिना किसी जांच पड़ताल के उनकी फीस पर सहमति प्रदान दे देते थे।

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