पत्नी, बेटी, बहन या मां के नाम पर घर खरीदने में है समझदारी, मिलेंगे ये तीन फायदे

नई दिल्ली
अपना घर खरीदने का सपना हर कोई देखता है। हर कोई सस्ता और अच्छा घर लेना चाहता है। अगर आप भी घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। अपना घर खरीदना भी निवेश का ही एक विकल्प है और आय का एक साधन है। लोग प्रॉपर्टी खरीदकर उसे किराए पर चढ़ा देते हैं, जिससे उनको प्रति माह निश्चित आय मिलती है और सालों बाद जब वही जमीन महंगी होती है, तो उसे बेचकर मुनाफा भी कमाते हैं। भारत में मकान अक्सर परिवार के पुरुषों के नाम पर ही होता था। लेकिन बदलते समय के साथ यह सामाजिक प्रथा भी बदल गई है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 77 फीसदी घर खरीदार महिलाएं हैं और रियल एस्टेट खरीदने के मामले में करीब 74 फीसदी निर्णय महिलाओं का होता है।

नियामक और नीति निर्माताओं ने महिला निवेशकों को वित्तीय सहायता सहजता से उपलब्ध कराने के लिए कई रियायतें भी शुरू की हैं। इसके तहत अगर मकान परिवार की किसी महिला सदस्य के नाम पर लिया जाता है, तो उसमें कुल तीन तरह के फायदे मिल सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में-

कोरोना वायरस महामारी के कारण संकट में गुजरे साल 2020 के बाद रियल्टी उद्योग को 2021 से काफी उम्मीदें हैं। रियल्टी क्षेत्र को नए साल में मकानों की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। कई राज्य महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी शुल्क में छूट देते हैं। उत्तर भारत के कुछ राज्यों में महिलाओं और महिला-पुरुष के लिए रजिस्ट्री शुल्क की दर पुरुषों के लिए निर्धारित रजिस्ट्री शुल्क की दर के मुकाबले करीब दो से तीन फीसदी कम है।

घर खरीदने के लिए अधिकतर लोग लोन लेते हैं। होम लोन लेने के बाद ग्राहक बैंक में जो रकम चुकाते हैं, उसमें ब्याज दर और मूलधन शामिल होता है, जिसे ईक्वल मंथली इंस्टॉलमेंट या इएमआई कहा जाता है। हाउसिंग फाइनेंस संस्थान पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ब्याज दर में राहत देती हैं। कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं के उद्देश्य और आय के अनुसार विशेष लोन स्कीम भी बनाई हैं। ज्यादातर लोन में 0.5 फीसदी से पांच फीसदी तक की छूट मिलती है।

इसके अतिरिक्त महिला के नाम पर या जॉइंट ओनरशिप में लोन लेने से आय पर अतिरिक्त टैक्स लाभ भी मिलता है। इसमें खास बात यह है कि यदि पत्नी की आय का स्रोत अलग है, तो किस्तें चुकाने पर टैक्स छूट पति-पत्नी, दोनों ले सकते हैं। यानी अतिरिक्त निवेश किए बिना दोगुना टैक्स का लाभ।

Back to top button