चीन के मंगल मिशन को बड़ी कामयाबी, जुरोंग रोवर को मंगल ग्रह पर उतार रचा इतिहास 

बीजिंग
चीन की सरकारी मीडिया ने दावा किया है कि चीन विश्व का दूसरा वो देश बन गया है जिसने मंगल ग्रह पर रोवर उतारने में कामयाबी हासिल की है। आखिरकार चीन मंगल ग्रह पर अपना रोवर उतारने में कामयाब हो ही गया। चीन के इस रोवर का नाम जुरोंग है, जिसका चीनी सभ्यता में मतलब होता है, आग के देवता। चीन की सरकारी मीडिया शुन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक ये जुरोंग रोवर आज सुबह मंगल ग्रह के यूटोपिया प्लेनेशिया नामक जगह पर उतरने में कामयाबी हासिल कर ली है। चीन के लिए मंगल ग्रह पर रोवर उतारना बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है और चीन से पहले अमेरिका ने ही ऐसा करने में कामयाबी हासिल की है। मंगल पर चीन ने उतारा रोवर शनिवार सुबह सुबह चीन का जुरोंग रोवर मंगल ग्रह पर उतरने में कामयाब रहा। 

इस रोवर में 6 चक्के लगे हुए हैं और इसका वजन 529 पाउंड यानि 240 किलो है। इस रोवर में 6 अलग अलग वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं, जिनकी मदद से ये रोवर मंगल ग्रह से जुड़ी जानकारियां चीन की स्पेस एजेंसी तक भेज सकेगा। शिन्हुआ न्यूज के मुताबिक इस रोवर को कुछ समय बाद लैंडर से जोड़ा जाएगा जो मंगल ग्रह की सतह पर जीवन की तलाश करेगा। चीन के इस रोवर में एक प्रोटेक्टिव कैप्सुल, एक पैराशुट और रॉकेट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया है और चीन के लिए अपना रोवर मंगल ग्रह पर उतारना एक बहुत बड़ी कामयाबी है। 

चीन का मंगल मिशन चीन के चुरोंग रोवर के साथ एक ऑर्बिटर तिअन्वेन भी है, जो मंगल ग्रह पर की कक्षा में फरवरी में पहुंचा था। मंगल ग्रह पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद चुरोंग रोवर अब मंगल ग्रह के यूटोपिया से तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा। मंगल ग्रह से पृथ्वी की दूरी 32 करोड़ किलोमीटर है, जिसका मतलब ये हुआ कि चीन से कोई रेडियो संदेश पृथ्वी तक पहुंचने में 18 मिनट का वक्त लेगा। आपको बता दें कि फरवरी में ही नासा का प्रीजर्वेंस रोवर भी मंगल ग्रह पर लैंड हुआ था जो अलग अलग जानकारियां नासा को भेज रहा है। वहीं, नासा का इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर भी मंगल ग्रह पर है, जिसने अभी तक पांच सुरक्षित उड़ाने अभी तक मंगलग्रह पर पूरी तक ली हैं। चीन और अमेरिका के अलावा संयुक्त अरब अमीरात का होप स्पेसक्राफ्ट भी मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचकर ऑर्बिट में चक्कर काट रहा है। बेहद मुश्किल था मिशन चीन के चुरोंग रोवर को मार्स यानि मंगल तक पहुंचने में 7 महीने की अंतरिक्ष यात्रा करनी पड़ी और फिर तीन महीने तक मंगल ग्रह के ऑर्बिट की परिक्रमा करनी पड़ी। 

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