राष्ट्रपति बनते ही इब्राहिम रायसी ने सऊदी अरब को भेजा दोस्ती का पैगाम, टेंशन में इजरायल 

तेहरान/रियाद
इब्राहिम रायसी के नेतृत्व वाली नई सरकार पहले ही दिन बड़े कूटनीतिक कदम उठाने जा रही है। ईरान का यह कदम पूरे मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है। सऊदी अरब के साथ पांच साल तक राजनयिक संबंध तोड़ने के बाद ईरान ने रविवार को अपने राजदूत को फिर से रियाद भेजने की घोषणा कर दी है। हालांकि, सऊदी ने अभी तक इसके लिए औपचारिक मंजूरी नहीं दी है। ईरान एक बहुत ही शिया देश है जिसका कई मुद्दों पर कट्टर सुन्नी देश सऊदी अरब के साथ विवाद है। लेकिन, माना जा रहा है कि अगर सऊदी अरब का साथ मिल जाता है तो इजरायल के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका होगा। 

सऊदी अरब से संबंध बहाली ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अंताल्या डिप्लोमेसी फोरम में एक भाषण के दौरान कहा कि तेहरान सऊदी अरब में अपना राजदूत भेजने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ईरान को ऐसा करने के लिए रियाद से हरी झंडी चाहिए। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि उनके विचार से सऊदी अरब के साथ ईरान के संबंध बहाल करना संभव है। पिछले पांच सालों में ईरान और सऊदी अरब में टेंशन का माहौल रहा है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध पूरी तरह से बंद है। 

खासकर यमन को लेकर दोनों देश आमने सामने रहते हैं। सऊदी अरब जहां हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है तो ईरान हूती विद्रोहियों को सीधा समर्थन देता है। लिहाजा, दोनों देशों के बीच का संबंध काफी खराब रहा है। ऐसे में अगर एक बार फिर से ईरान अपना राजदूत रियाद भेजता है, तो फिर दोनों देशों के बीच संबंध बहाली का नया अध्याय शुरू हो सकता है और मध्य-पूर्व देशों में मुस्लिम देशों की ताकत में एकजुटता माना जाएगा, जो इजरायल के लिए टेंशन बढ़ाने वाली बात होगी।
 

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