आरोग्य भारती प्रिवेंशन बेटर देन क्योर की अवधारणा पर कार्य करते हुए आम लोगों को कर रहे हैं जागरूक – उइके

रायपुर
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आरोग्य भारती छत्तीसगढ़ प्रांत के अखिल भारती प्रतिनिधिमण्डल की बैठक का भगवान धन्वन्तरी की पूजा कर और दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि हमें अपने जीवन में रहन-सहन और खान-पान ऐसे रखना चाहिए कि रोग हमसे दूर रहे। जो भी व्यक्ति प्रकृति के अनुरूप कार्य करता है उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है और निरोगी भी रहता है। आरोग्य भारती प्रिवेंशन बेटर देन क्योर की अवधारणा पर कार्य करते हुए आम लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि कोरोना काल में वे व्यक्ति सबसे अधिक सुरक्षित रहा जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी थी। कोरोना काल में लोगों को यह अहसास कराया कि स्वास्थ्य के प्रति कितना सचेत रहना चाहिए। कोरोना काल में कई लोगों को आॅक्सीजन की समस्या का सामना करना पड़ा, जिससे लोगों को आक्सीजन और शुद्ध हवा की महत्ता का अहसास हुआ। शुद्ध हवा पेड़-पौधों से प्राप्त होती है। हमें पेड़-पौधों का संरक्षण करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने स्वयं गृहजिले छिन्दवाड़ा में एक छोटा सा उद्यान विकसित किया है, जिसमें बड़ी संख्या में पेड़-पौधे रोपित किए गए हैं। वे स्वयं प्रयास करती हैं कि वे कुछ समय प्रकृति के साथ रहने और पेड़-पौधों की देखभाल में दें। ऐसे ही प्रयासों का परिणाम है कि वे कोरोनाकाल में सुरक्षित रहीं और इस रोग से प्रभावित नहीं हो पाई।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य, देश के कुछ ऐसे विशिष्ट राज्यों में से एक है, जहां प्रचुर मात्रा में वन संसाधन है तथा विरासत में मिली पर्याप्त मात्रा में जड़ी-बूटियों की संपदा है। हमारे आदिवासी समाज के परंपरागत वैद्य और बैगा को इन जड़ी-बूटियों की अथाह ज्ञान है, जिससे कई गंभीर बीमारियों का इलाज होता है। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश में ऐसे लोग हैं, जो नाड़ी देखकर बीमारियां बता देते हैं और उन्हें दवाईयां भी देते हैं। राज्यपाल ने इन परंपरागत विद्या को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को जानकारी देने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में रोगों की रोकथाम के लिए स्थानीय विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य जागरूकता के सराहनीय प्रयास किये जिसका प्रभाव भी दृष्टिगोचर हुआ। छत्तीसगढ़ में जिला धमतरी के गंगरेल नामक ग्राम में दुर्लभ तथा सामान्य किस्म के जड़ी-बूटी के पौधों को रोपित किया गया है, जो आयुर्वेदिक क्षेत्र में कार्य करने वाले चिकित्सकों तथा सामान्यजनों के लिए ज्ञान वर्धन करता है। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में आधुनिक चिकित्सा तंत्र जिसमें आयुष पद्धतियां सम्मिलित है, का अच्छा विकास हो रहा है, जिसके फलस्वरूप कोरोना जैसी महामारी में भी राज्य में अच्छी सफलता मिल रही है। इस कार्य में राज्य में कार्यरत मितानिन कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविकाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का प्रमाणीकरण करने से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं देने में सहयोग प्राप्त होगा।

सुश्री उइके ने आरोग्य भारती द्वारा कोरोना काल में किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने के लिए आरोग्य मित्र तैयार करे और उनके सहयोग से स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य किया जाए तो हमारा छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने आरोग्य भारती की स्मारिका रहिबो बने-राखबो बने और आरोग्य संपदा किताब का विमोचन किया और आरोग्य भारती संस्था के वेबसाईट का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित और आरोग्य भारती के छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष अनिल कर्णावत ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में आयुष विभाग भारत सरकार के सचिव डॉ. राकेश कोटेचा सहित चिकित्सकगण और आरोग्य भारती संस्था के सदस्य उपस्थित थे।

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