दीपावली पर करें सिद्ध लक्ष्मी मंत्र से आराधना, होगा धन लाभ 

नई दिल्ली
जीवन में समस्त सुखों का भोग करने के लिए भरपूर पैसा होना आवश्यक है। कई लोग कहते हैं किपैसा ही सबकुछ नहीं होता मन की शांति होनी जरूरी है। लेकिन वास्तविकता यह है किआज के भोगवादी समय में मनुष्य के पास पैसा होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह अपनी और अपने परिवार की उत्तम देखभाल कर सकता है। पैसा होगा तो मानसिक शांति भी आ जाएगी लेकिन पैसा नहीं है तो पहले उसे ही कमाने में लगे रहना पड़ेगा।

 यदि आप आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं, दिनरात कड़ी मेहनत करने के बाद भी परिवार के लिए सुख साधन जुटाने में असफल हो रहे हैं तो दीपावली की रात्रि में माता लक्ष्मी के सिद्ध लक्ष्मी मंत्र की साधना करें, फिर देखें आपके जीवन में किसी चीज का अभाव नहीं रह जाएगा। तांत्रिक ग्रंथों में सिद्ध लक्ष्मी मंत्र के बारे में कहा गया है किजो मनुष्य दीपावली की रात्रि में इस मंत्र को सिद्ध कर कर लेता है उसके घर में स्वयं मां लक्ष्मी आकर निवास करने लगती है। यह मंत्र लक्ष्मी की प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ एवं सिद्धिदायक मंत्र कहा गया है। 
मंत्र सिद्ध करने के नियम 
इस मंत्र को कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली की रात्रि में सिद्ध किया जाता है। मंत्र को एक लाख जपने से यह सिद्ध हो जाता है। फिर नित्य इसकी एक माला जाप करते रहें। मंत्र जप स्फटिक की माला से किया जाता है। पूरे साधनाकाल में गाय के घी का दीपक निरंतर प्रज्ज्वलित रहना चाहिए। साधक पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कमलासन पर बैठे। जो लोग एक साथ बैठकर एक लाख जाप नहीं कर सकते, वे दीपावली की रात्रि से प्रारंभ करके निरंतर 21 दिनों में एक लाख मंत्र जाप पूरे करें। साधनाकाल में मन की शुचिता और श्रद्धा होना आवश्यक है।

धनतेरस पर बना रहा है गुरु-शुक्र पुष्य का महासंयोग, जानिए पूजा विधि, महत्व और शुभ-मुहूर्त कैसे करें सिद्ध मंत्र सिद्ध करने के लिए सबसे पहले विनियोग करना होता है-विनियोग- ऊं अस्य श्री सिद्ध लक्ष्मी मंत्रस्य हिरण्यगर्भ ऋषि अनुष्टुप छंद: श्री महाकाली महालक्ष्मी सरस्वत्यो देवता: श्रीं बीजम ह्रीं शक्ति: क्लीं कीलकम मम सर्व क्लेश पीड़ा परिहारार्थ सर्वदु:ख दारिद्रयनाशनार्थ सर्वकार्यसिद्धयर्थ च श्री सिद्ध लक्ष्मी मंत्रजपे विनियोग:। ध्यान- ब्राह्मीं च वैष्णवीं भद्रां षड्भुजां च चतुर्मुखीम् । त्रिनेत्रां खड्गशूलामी पद्म चक्र गदा धराम् ।। पीतांबरधरां देवीं नानालंकारभूषिताम् । तेज: पुंजधरां श्रेष्ठांध्यायेद्बाल कुमारिकाम् ।। सिद्ध लक्ष्मी मंत्र ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नम:
 

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