अनुमान से कहीं ज्यादा भारतीय हो रहे हैं बेघरः रिपोर्ट

 दिल्ली 
कुदरती आपदाओं के कारण भारत में विस्थापित हो रहे लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. गरीब लोग इन आपदाओं का नुकसान सहन नहीं कर पा रहे हैं.भारत में जिस तरह मौसमी बदलाव के कारण आपदाएं आ रही हैं, उसके कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन बढ़ने का अनुमान है. इंटरनैशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंट एंड डिवेलपमेंट (IIED) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि देश के सबसे गरीब लोग इस कारण अपने घरबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर हैं. शोधकर्ताओं ने तीन राज्यों के एक हजार घरों का सर्वेक्षण किया. 

सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे प्रकृतिक आपदा के तुरंत बाद विस्थापित हुए. भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है. सोमवार को जारी की गई अध्ययन की रिपोर्ट कहती है कि सूखे या बाढ़ के कारण फसलों की बर्बादी और चक्रवातों के कारण मछली पकड़ने में आने वाली बाधाएं मौसमी विस्थापन की सबसे बड़ी वजह रहीं. रिपोर्ट कहती है कि देश के बहुत से गरीब लोग जैसे कि छोटे किसान मौसमी आपदाओं के कारण होने वाली बर्बादी को वहन करने में नाकाम रहे हैं. नहीं सह पा रहे हैं गरीब शोधकर्ता कहते हैं कि देश में समुद्र जलस्तर का बढ़ना, तापमान का बढ़ना और चक्रवातों जैसी आपदाओं की वृत्ति बढ़ेगी.
 
रिपोर्ट  ​ने बताया, "मौसम के कारण होने वाले विस्थापन का आकार हैरतअंगेज है. हम यह नहीं सोच सकते कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. सूखा, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और बाढ़ ने पहले से ही संघर्ष कर रहे लोगों पर और अधिक दबाव डाला है और वे जीवनयापन के कारण घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.” जर्मनवॉच नामक संस्था सालाना ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स जारी करती है जिसमें जलवायु के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों की सूची दी जाती है. 2021 की इस सूची में भारत टॉप 10 पर है. 2020 में भारत में कई भयानक कुदरती आपदाएं आईं. टिड्डी दल का अब तक का सबसे बड़ा हमला, तीन चक्रवातीय तूफान, एक बार गर्मी की लहर, कई राज्यों में आई बाढ़ ने सैकड़ों जानें लीं और हजारों को बेघर कर दिया. भारद्वाज कहती हैं, "समुदाय झेलने और आसानी से उबर पाने में सक्षम नहीं हैं. उन्हें जो नुकसान होता है, वह बहुत ज्यादा है और वे इसलिए घर छोड़कर दूसरी जगह जाते हैं क्योंकि वे निराश हो चुके होते हैं.
 

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