पश्चिम यूपी को इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच की सौगात देने की तैयारी, आसान होगी भाजपा की चुनावी राह?

नई दिल्ली आगरा
तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद माना जा रहा है कि भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में चुनावी समर में उतरने में मदद मिलेगी। इन कानूनों की वापसी के बाद जाट बिरादरी के प्रभाव वाली 60 से ज्यादा सीटों पर भाजपा की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यही नहीं पश्चिम यूपी को अब केंद्र सरकार की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच की सौगात मिल सकती है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को आगरा में एक कार्यक्रम के दौरान यह संकेत दिए। उन्होंने कहा कि विधि मंत्रालय के पास न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट मौजूद है और केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है। रिजिजू ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आगरा खंडपीठ की स्थापना को जल्द मंजूरी मिल जाएगी। यही नहीं कानून मंत्रालय ने हाई कोर्ट की बेंच की स्थापना को लेकर लड़ रही न्यायालय स्थापना संघर्ष समिति को वार्ता के लिए दिल्ली भी आमंत्रित किया है। रिजिजू ने कहा कि केंद्रीय विधि राज्य मंत्री और स्थानीय सांसद एस. पी. सिंह बघेल से भी चर्चा हुई है। बघेल ने कहा कि आगरा उनका संसदीय क्षेत्र है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना किया जाना व्यावहारिक रूप से उचित है। यदि केंद्र सरकार की ओर से हाई कोर्ट की वेस्ट यूपी में बेंच को मंजूरी मिलती है तो इससे पूरे इलाके को साधने में मदद मिलेगी। दशकों से पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की अलग बेंच की मांग उठती रही है। खासतौर पर चुनावों के दौर में यह मांग तेज होती रही है।

दशकों से उठती रही है अलग हाईकोर्ट बेंच की मांग?
फिलहाल भाजपा किसान आंदोलन को लेकर थोड़ा घिरा महसूस कर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से इसे मंजूरी मिलने पर वह इस क्षेत्र में एक बार फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है। यही नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल एक्सप्रेस देकर साधने की कोशिश में जुटी भाजपा के लिए पश्चिम में यह बड़ी राहत का सबब होगा। इस तरह सभी क्षेत्रों को अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के जरिए भाजपा साधने की कोशिश कर रही है। हाल ही में बुंदेलखंड का दौरा भी पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था, जहां उन्होंने अर्जुन सहायक परियोजना की शुरुआत की थी। इस तरह से हर क्षेत्र के लिए भाजपा सरकार की ओर से योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसे में अब हाई कोर्ट बेंच की मांग पूरा होना एक और अहम कदम होगा।

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