उच्च शिक्षा विभाग सात साल में नहीं करा सका एक भी ट्रांसजेंडर का प्रवेश

भोपाल
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को कॉलेजों में प्रवेश कराने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन सात साल में उच्च शिक्षा विभाग एक भी ट्रांसजेंडर का प्रवेश निजी और सरकारी कालेजों में नहीं करा सका है। जबकि ट्रांसजेंडर के कॉलम में गत वर्ष तक पंजीयन होते रहे हैं, लेकिन प्रवेश एक भी नहीं हो सका है। वर्तमान सत्र 2021-22 में एक भी पंजीयन नहीं हुआ है।

स्कूल में ट्रांसजेंडर का प्रवेश छात्र और छात्रा के रूप में होते हैं। वे जिस कैटेगिरी के कालम में प्रवेश लेते हैं। वे उसी कैटेगिरी में बन रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज स्तर की पढ़ाई के लिए आदेश दिया है कि कॉलेज और विवि ट्रांसजेंडर को प्रवेश देंगे। इसके लिए वे छात्र, छात्रा के बाद ट्रांसजेंडर का तीसरा कॉलम खीचेंगे।
    
विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए आॅनलाइन काउंसलिंग में छात्र, छात्रा के बाद ट्रांसजेंडर के लिाए तीसरा कॉलम तैयार किया है। विगत छह सालों में ट्रांसजेंडर में दो दर्जन ट्रांसजेंडर ने पंजीयन कराए थे, लेकिन प्रवेश लेने एक भी ट्रांसजेंडर कॉलेज तक नहीं पहुंचा। वर्तमान सत्र में एक भी ट्रांसजेंडर का पंजीयन नहीं हुआ है।

विभाग ने प्रवेश कराने जारी की गाइडलाइन में स्पष्ट तौर पर कहा कि ट्रांसजेंडर को सिर्फ को-एड कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा। वे गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश नहीं लेंगे। वे छात्राओं के प्रसाधन का उपयोग नहीं करेंगे। वे सिर्फ पुरुष प्रसाधन का उपयोग करेंगे। विभाग द्वारा कई सुविधाएं देने के बाद भी ट्रांसजेंडर 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद कॉलेजों में नहीं आ रहे हैं।

स्कूल में ट्रांसजेंडर छात्र या छात्रा के तौर पर प्रवेश लेते हैं। उन्हें 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद छात्र या छात्रा की कैटेगिरी छोड़ने के बाद ट्रांसजेंडर के कॉलम में एंट्री करने के बाद प्रवेश लेना होगा। वे 12वीं की उत्तीर्ण करने के बाद वे कॉलेजों तक नहीं पहुंच रहे हैं। जबकि राज्य में कई ट्रांसजेंडर कॉलेज पढ़ने की योग्यता रखते हैं।

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