जब देश में कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट बरपा रहा था कहर, तब कोवैक्सीन 50% प्रभावी थी: लैसेंट स्टडी

नई दिल्ली
देश में जिस समय कोरोना का नया वैरिएंट 'डेल्टा वैरिएंट' कहर बरपा रहा था, तब भारतीय 'कोवैक्‍सीन' ने खूब लोगों को बचाया। लोगों के इसके दो डोज लगने पर यह डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी 50% प्रभावी रही। इससे पहले 'द् लैंसेट' की स्टडी में बताया गया था कि, 'कोवैक्‍सीन' कोरोनावायरस के खिलाफ 77.8% प्रभावी थी। कोवैक्सिन, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (NIV-ICMR),पुणे के सहयोग से विकसित की गई थी।
 इस वैक्‍सीन को भारत में इस साल जनवरी में 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए इमरजेंसी-यूज की परमीशन दी गई थी। इसी महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अन्‍य स्वीकृत कोविड-वैक्‍सीनों की तरह इमरजेंसी-यूज के लिए लिस्‍टेड कर दिया। इस वैक्‍सीन की प्रभावशीलता पर दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध चिकित्सा-पत्रिकाओं में से एक "द लैंसेट" स्‍टडी कर रही थी। "द लैंसेट" ने अपनी स्‍टडी में पाया कि, कोविड-19 के खिलाफ कोवैक्सीन 77.8% प्रभावकारी है। ऐसे में इसे लोगों को देना आवश्‍यक है, ताकि मौजूदा समय में लोगों को खतरनाक वायरस से बचाया जा सके।

भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के उछाल के दौरान स्वास्थ्य-कार्यकर्ताओं को मुख्य रूप से कोवैक्सिन दी गई। उसके बाद इसे आमजन भी लगवाने लगे। इस बारे में हाल ही में 'द लैंसेट' में प्रकाशित एक स्‍टडी से सामने आया है कि, कोवैक्सिन की दो खुराक, जिसे BBV152 के रूप में भी जाना जाता है, सिम्प्टोमेटिक केस में कोविड-19 के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई और उससे कोई गंभीर सुरक्षा चिंता नहीं पैदा हुईं। इसी तरह एक और स्‍टडी में, जो 15 अप्रैल से 15 मई के बीच नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 2,714 अस्पताल कर्मियों पर की गई, जिनमें कोविड का पता लगाने के लिए उनका RT-PCR परीक्षण किया गया था..यह यह सामने आया कि जिन कर्मियों ने ये कोवैक्सिन लगवाई थी, वे काफी बेहतर स्थिति में थे। वहीं, शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि स्‍टडी की अवधि के दौरान भारत में कोविड का डेल्टा संस्करण हावी था, जो सभी पुष्टि किए गए कोरोना-मामलों में लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार था। तब को‍वैक्‍सीन ने खासा असर दिखाया, जिससे लोगों का बचाव हुआ।

आंकड़ों के अनुसार कोवैक्सीन का डोज बिना किसी लक्षण वाले मरीजों को 63.6 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं, देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक प्रभावी रहे डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह वैक्‍सीन 65.2 प्रतिशत और सार्स-सीओवी-2 वायरस के सभी प्रकारों के खिलाफ 70.8 प्रतिशत कारगर साबित हुई। कोवैक्सीन के प्रभावकारिता विश्लेषण के अनुसार देश में निर्मित यह वैक्‍सीन कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी है। वहीं, ब्रिटिश मैगज़ीन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक वैक्सीन BBV152 का पहला वास्तविक-विश्व मूल्यांकन बताता है कि वैक्सीन की 2 खुराक दिए जाने के बाद इसकी कोरोना-संक्रमण के खिलाफ 50% प्रभावशीलता है।

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