राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की मारामारी,90 फीसद टोटा

रायपुर
 राज्य के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध रहने वाली जरूरी दवाएं रोगियों को नहीं मिल पा रही हैं। दवाओं के टोटे के चलते मरीज परेशान हैं। वहीं आपूर्ति की जाने वाली जरूरी 90 फीसद दवाएं उपलब्ध न करा पाने की समस्या पर अस्पताल प्रबंधन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (सीजीएमएससी) को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

बता दें कि शासकीय अस्पतालों में दवाओं से लेकर सर्जिकल सामान उपलब्ध कराने का जिम्मा सीजीएमएससी का है। ऐसे में समय-समय पर जरूरी दवाओं की आवश्यकता पर अस्पताल सीजीएमएससी से डिमांड करते हैं, लेकिन लंबे समय से उनकी डिमांड समय पर पूरी ही नहीं की जा रही है। वहीं खरीदी के लिए एनओसी देने की प्रक्रिया और अस्पताल स्तर पर दवा खरीदी में इतना समय लग जाता है कि महीनों अस्पताल में जरूरी दवाएं ही नहीं होती हैं। इन सबके चलते इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को निश्शुल्क मिलने वाली दवाएं भी मजबूरी में बाहर मेडिकल से महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है।

 

10 फीसद दवाएं ही दे रहे अस्पताल को

मिली जानकारी के मुताबिक डीकेएस अस्पताल में करीब 1200 तरह की दवाओं की आवश्यकता होती है। इसमें सीजीएमएससी ने लगभग 120 तरह की दवाएं ही उपलब्ध कराईं। इसी तरह जिला अस्पताल में करीब 350 तरह की जरूरी दवाओं में 10 फीसद वहीं आंबेडकर अस्पताल में 1000 से अधिक जरूरी दवाओं में से 20 फीसद दवाएं ही सीजीएमएससी द्वारा उपलब्ध कराई गई हंै। यही स्थिति जिला स्वास्थ्य विभाग की भी है।

भ्रष्टाचार से घिरा विभाग, 400 दवाएं व उपकरण के टेंडर निरस्त

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सीजीएमएससी ने 400 दवाओं व उपकरणों की खरीदी के करीब एक दर्जन टेंडर को हाल ही में निरस्त किए हैं। इसमें दवाओं के साथ ही पैथोलाजी लैब, आपरेशन थियेटर सहित अन्य सर्जिकल उपकरण की खरीदी होनी है। मामले में पक्ष जानने सीजीएमएससी के एमडी कार्तिकेय गोयल को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने नहीं उठाया। वहीं विभाग के अन्य अधिकारियों ने भी मामले से पल्ला झाड़ लिया।

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