किसानों पर तत्काल मुकदमे वापसी को भी तैयार हुई मोदी सरकार

नई दिल्ली
किसान आंदोलन की समाप्ति को लेकर केंद्र सरकार गंभीर नजर आ रही है। किसानों को भेजे गए नए प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कई आपत्तियां जताई थीं। इनमें से एक आपत्ति सरकार की उस शर्त को लेकर भी थी कि आंदोलन समाप्ति के बाद सभी केस वापस ले लिए जाएंगे। मोर्चा की आपत्ति के बाद अब केंद्र सरकार ने एक बार फिर से अपने रुख में नरमी दिखाई है और तत्काल प्रभाव से सभी मुकदमों को वापस लेने की बात कही है। बुधवार को सुबह सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की एक इमरजेंसी मीटिंग के बाद सरकार ने यह प्रस्ताव दिया है। इस मीटिंग में सरकार के प्रस्तावों में कुछ कमियां बताई गई थीं।  किसान नेता अशोक धवाले ने कहा कि हम इस बात के लिए सरकार की सराहना करते हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दिया है। लेकिन सरकार के प्रस्तावों में कुछ खामियां हैं। इसलिए हमने रात में इस प्रस्ताव में आपत्तियां जताते हुए वापस कर दिया था और अब सरकार के जवाब का इंतजार है। दरअसल राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने कहा था कि यदि आंदोलन समाप्ति के बाद सरकार मुकदमे वापस लेने की बात कर रही है तो यह शर्त गलत है। इसकी वजह यह बताई गई थी कि आंदोलन समाप्ति के बाद भी किसी किसान पर मुकदमा बचा रहता है तो वह अकेले थाने में नहीं जा सकेगा और न ही फिर उसका मुकदमा वापस होगा।

अब इन सभी आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए ही केंद्र सरकार ने नया ड्राफ्ट भेजा है। कहा जा रहा है कि सरकार और किसानों की ट्रिपल 'एम' यानी मुकदमा, एमएसपी और मुआवजे पर पेच अटका हुआ है। इनमें से एक मुकदमे पर बात बनती दिख रही है, जबकि मुआवजे को लेकर पंजाब मॉडल की मांग किसान कर रहे हैं। इसके अलावा एमएसपी पर बनने वाली कमिटी में सिर्फ संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को ही रखे जाने की मांग की जा रही है। किसान नेता अशोक धवाले ने कहा कि सरकार का कहना है कि आंदोलन खत्म करने के बाद सभी मामले वापस ले लिए जाएंगे। यह गलत है और हम यहां सर्दी में नहीं बैठना चाहते हैं।

 

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