CDS बिपिन रावत ही नहीं, हवाई हादसों ने देश से इन बड़े सैन्य योद्धाओं को भी छीना

नई दिल्ली
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को ले जा रहे ‘एमआई-17वी-5’ हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से सैन्य बलों के विमानों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। तीनों सेनाओं के विमान लगातार हादसे के शिकार हो रहे हैं। पिछले दस साल के आकंड़ों पर नजर डालें तो औसतन 20 सैन्य विमान हर साल दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इन हादसों में बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी मारे गए हैं। यदि पुराने हादसों की बात करें तो 22 नवंबर 1963 को पुंछ में हुआ हेलीकॉप्टर हादसा अब तक सबसे बड़ा और भयावह हादसा था। इसमें छह बड़े सैन्य अधिकारी मारे गए थे, जिनमें लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, मेजर जनरल एनडी नानावटी, ब्रिगेडियर राम ओबेरॉय, पश्चिमी एयर कमान के प्रमुख एयरवाइस मार्शल ईडब्ल्यू पिंटो और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एसएस सोढ़ी शामिल थे। बुधवार का हादसा पुंछ हादसे की पुनरावृत्ति प्रतीत होता है। इसी तरह, 1942 में हुए एक हादसे में लेफ्टिनेंट जनरल एसएम नागेश और मेजर जनरल केएस तिमैया की जान गई थी।

एक दशक में कई ‘एमआई-17’ दुर्घटनाग्रस्त
एमआई-17 यूं तो बेहद सुरक्षित माना जाता है, लेकिन पिछले दस वर्षों में इस श्रेणी के कई हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुए हैं। हालांकि, हर हादसे के अलग-अलग कारण रहे हैं। अप्रैल 2018 में केदारनाथ, अक्तूबर 2017 में अरुणाचल प्रदेश, जून 2013 में उत्तराखंड, नवंबर 2010 और अप्रैल 2011 में तवांग तथा अगस्त 2012 में जामनगर में एमआई-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हुए। इन हादसों में करीब 50 सैन्यकर्मियों की मौत हुई।

‘चीता’ और ‘चेतक’ सबसे संवेदनशील
सेना में करीब 50 साल पुरानी तकनीक पर बने चीता और चेतक हेलीकॉप्टर विमान हादसे के लिहाज से सबसे संवेदनशील पाए गए हैं। लंबे समय से सेना में इन्हें हटाए जाने की मांग चल रही है। हालांकि, नए हेलीकॉप्टरों के अधिग्रहण में देरी के चलते चीता और चेतक के ऊपर निर्भरता खत्म नहीं हो पा रही है।

खराब रखरखाव, प्रशिक्षण की कमी जिम्मेदार
सरकारी सूत्रों ने कहा कि पुरानी तकनीक के साथ-साथ चेतक और चीता का रखरखाव अच्छा नहीं होना, पायलट को प्रशिक्षण की कमी तथा उपयुक्त कल-पुर्जों के अभाव के कारण ये हेलीकॉप्टर लगातार हादसे का शिकार हो रहे है। तीनों सेनाओं में पिछले बीस वर्षों में 50 से अधिक चेतक या चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं। इनमें कम से कम 60 सैन्यकर्मी मारे गए हैं।

400 नए हेलीकॉप्टर की जरूरत
यदि चेतक और चीता को हटाया जाता है तो करीब 400 नए हेलीकॉप्टर की जरूरत होगी। हालांकि, एचएएल की 126 हल्के हेलीकॉप्टर के निर्माण की योजना देरी से चल रही है। अगले साल से एचएएल से आपूर्ति संभव है, लेकिन जितनी जरूरत है, उसकी पूर्ति अकेले एचएएल से मुमकिन नहीं है। इसी तरह रूस से 200 ‘कामोव-226टी’ हेलीकॉप्टरों के सौदे में भी विलंब हो रहा है। इतना ही नहीं, नए अधिग्रहण के लिए सरकार को 30-40 हजार करोड़ रुपये की धनराशि की भी दरकार होगी।

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