चिकित्सा विभाग ने बनाए नियम, डॉक्टर बनने के बाद गांव में 1 साल सर्विस दें, नहीं तो पंजीयन निरस्त

भोपाल
मध्यप्रदेश के  मेडिकल कॉलेजों से अध्ययन करने वाले डॉक्टरों को बॉन्ड के अनुसार मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सेवाएं नहीं देने या बॉन्ड की राशि जमा नहीं करने पर उनका मध्यप्रदेश चिकित्सा परिषद में पंजीयन स्थाई नहीं किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसके लिए नियम बना दिए है।

मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई करने के बाद मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीयन कराना अनिवार्य है। इसके लिए नये नियम चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बना दिए है। ये नियम मध्यप्रदेश राज्य में स्थापित शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों पर लागू होंगे। मध्यप्रदेश में एमबीबीएस, स्नात्कोत्तर पत्रोपाधि, स्नातकोत्तर उपाधि और सुपर-स्पेशियलिटी उपाधि उत्तीर्ण करने के बाद छात्र-छात्रा को  एक वर्ष अनिवार्य चिकित्सा सेवा देना होता है।  शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय से स्नातक चिकित्सा छात्रों को अनिवार्य चिकित्सा सेवा नहीं देने पर मेडिकल की पढ़ाई करने से पहले भरे गए बांड के तहत सामान्य वर्ग को दस लाख रुपए और आरक्षित वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को पांच लाख रुपए की बॉन्ड राशि जमा करना होता है।

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के स्नातक चिकित्सा छात्रों के लिए भी सामान्य वर्ग के लिए एक वर्ष की अनिवार्य चिकित्सा सेवा या दस लाख रुपए का बॉन्ड भरना होता है। आरक्षित वर्ग अनुसूचित जाति,जनजाति तथा ओबीसी के लिए यह अवधि एक वर्ष और पांच लाख रुपए बांड राशि होती है। मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम के तहत स्नातकोत्तर उपाधि के लिए शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों के लिए और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के  स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों के लिए  सभी वर्गो को एक वर्ष की सेवा अवधि या आठ से दस लाख रुपए का बॉन्ड भरना होता है।

अनिवार्य चिकित्सा सेवा पूर्ण करने वालों का ही पंजीयन होगा स्थाई
प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों द्वारा अनिवार्य चिकित्सा सेवा पूर्ण नहीं करने या बॉंड के तहत राशि जमा नहीं करने पर पंजीयन स्वयमेव अस्तित्वहीन हो जाएगा।  अनिवार्य चिकित्सा सेवा पूर्ण करने या बॉन्ड की राशि जमा करने वाले विद्यार्थियों का पंजीयन ही स्थाई किया जा सकेगा। पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी अनापेक्षित परिस्थितियों के कारण किसी भी पाठयक्रम को उत्तीर्ण करने के बाद अनिवार्य चिकित्सा सेवा को पूरा करने में विफल रहता है तो ऐसे पंजीकृत चिकित्सा व्यववसायी को शेष अनिवार्य चिकित्सा सेवा अवधि को पूरा करने की अनुमति  राज्य सरकार द्वारा इसके लिए गठित मंडल द्वारा दी जा सकेगी।
 
स्थाई पंजीयन के लिए देना होगा अनिवार्य चिकित्सा सेवा प्रमाणपत्र

मध्यप्रदेश के सरकारी और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को स्थाई पंजीयन के लिए  अनिवार्य चिकित्सा सेवा प्रमाणपत्र जमा कराना होगा।  इसके लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया प्रमाणपत्र जमा कराना होगा। इसमें यह जानकारी होगी कि छात्र-छात्रा द्वारा बंधपत्र की राशि जमा कर दी गई है अथवा अनिवार्य चिकित्स सेवा पूर्ण कर ली गई है अथवा अनिवार्य चिकित्सा सेवा से सशर्त छूट प्रदान की गई है।

स्नातकोत्तर उपाधि में प्रवेश के लिए एक वर्ष का मौका
जो छात्र-छात्राएं मेडिकल की स्नातक डिग्री लेकर एमबीबीएस  स्नातकोत्तर पत्रोपाधि, स्नातकोत्तर उपाधि या सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेंगे उन्हें पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने पर परिषद जो पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करेगा उसमें एक वर्ष की अवधि अनिवार्य चिकित्सा के लिए और प्रदान की जाएगी।

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