राहुल गांधी के बयान पर आया अमेरिका का रिएक्शन, मोदी की विदेश नीति पर उठाया था सवाल

नई दिल्ली।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को लेकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला किया और कई गंभीर आरोप लगाए। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अप्रभावी नीतियों के कारण चीन और पाकिस्तान पहले से कहीं ज्यादा करीब आ गए हैं। उनके इस बयान पर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट स्पॉक्स नेड प्राइस ने कहा, ''मैं इसे पाकिस्तानियों और पीआरसी पर उनके संबंधों के बारे में बात करने के लिए छोड़ दूंगा। मैं निश्चित रूप से उन टिप्पणियों का समर्थन नहीं करूंगा।''
 
राहुल गांधी के आरोपों पर जयशंकर का भी पलटवार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा बुधवार को लोकसभा में सरकार पर लगाए गए आरोपों का विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पलटवार किया। विदेश मंत्री ने ट्वीट कर कहा, लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा कि मौजूदा वक्‍त में हमें गणतंत्र दिवस पर विदेशी मेहमान नहीं मिल सकता है। देशवासी जानते हैं कि हम कोरोना की नई लहर से जूझ रहे थे। देश में पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपति आने वाले थे लेकिन कोरोना संकट के कारण ही उन्‍होंने 27 जनवरी को वर्चुअल माध्‍यम के जरिए शिखर सम्मेलन में भाग लिया। क्या लोकसभा में राहुल गांधी को ये बातें भूल गई थीं।
 
विदेश मंत्री ने आगे कहा, राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया कि इस सरकार ने पाकिस्तान और चीन को एक साथ लाने का काम किया है। कांग्रेस नेता को इन घटनाओं को याद करना चाहिए। सन 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी को चीन को सुपुर्द कर दिया। यही नहीं चीन ने ही 1970 के दशक में पीओके के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था। उन्होंने यह भी कहा कि चीन और पाकिस्‍तान के बीच दोस्‍ती कोई नई नहीं है। दोनों देशों के बीच 1970 के दशक से घनिष्ठ परमाणु सहयोग था। साल 2013 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ। राहुल को अपने आप से पूछना चाहिए कि क्या तब चीन और पाकिस्तान दूर थे? वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी को बोलने का मौका सिर्फ इसलिए मिल रहा है क्योंकि वे गांधी परिवार से हैं।

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