मौद्रिक नीति के सामने महंगाई, एफडीआई समेत होंगी छह चुनौतियां

नई दिल्ली।  
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) की बैठक सोमवार से शुरू होने वाली बैठक टल गई है। अब यह 8 फरवरी यानी मंगलवार से शुरू होगी और नतीजे 10 को आएंगे।। इस बार एमपीसी के सामने महंगाई पर अंकुश, सुस्त आर्थिक वृद्धि को गति देने और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से उपभोक्ता और अर्थव्यवस्था पर पड़ने पर असर से निपटने की चुनौती होगी।

बता दें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महाराष्ट्र सरकार के सात फरवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के कारण मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का कार्यक्रम बदलने की रविवार को घोषणा की।   महाराष्ट्र सरकार ने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन के कारण अवकाश घोषित किया है।  पहले यह बैठक सात से नौ फरवरी 2022 को होनी थी। अब यह बैठक आठ फरवरी को होगी और बैठक के नतीजे 10 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।

आरबीआई ने देर शाम एक बयान में कहा, ''महाराष्ट्र सरकार के भारत रत्न दिवंगत मंगेशकर के सम्मान में सात फरवरी 2022 को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के कारण एमपीसी की बैठक का कार्यक्रम बदलकर अब आठ से दस फरवरी 2022 कर दिया गया है।'' विशेषज्ञों का भी कहना है कि मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के मद्देनजर द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम सकता है।
 

नीतिगत रुख को 'उदार' से 'तटस्थ' में बदल सकती है आरबीआई

विशेषज्ञों का हालांकि यह मानना है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत रुख को 'उदार' से 'तटस्थ' में बदल सकती है और नकदी के सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में रिवर्स-रेपो दर में बदलाव कर सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि बजट में वृद्धि को लेकर दिए गए आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत (25 आधार अंक) की वृद्धि करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

कोटक महिंद्रा बैंक में उपभोक्ता बैंकिंग की समूह अध्यक्ष शांति एकमबराम ने भी उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी का बदलाव कर सकता है। इसके पहले कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया था।

1. आर्थिक रफ्तार बढ़ाने का दबाव
सरकार के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9.2 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में आठ से 8.5 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, दो अंकी की वृद्धि से यह कम है। वहीं औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार लगातार तीसरे महीने सुस्त रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक नवंबर में 1.4 प्रतिशत बढ़ा। विनिर्माण, बिजली, खनन, प्राथमिक वस्तु और टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे ज्यादातर क्षेत्रों में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है।

2. महंगाई पर काबू रखना
अनाज, दूध, अंडे सहित रसोई का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2021 में बढ़कर 5.59 प्रतिशत हो गई है। यह खुदरा महंगाई का छह माह का शीर्ष स्तर है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए निर्धारित ऊपरी सीमा छह प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

3. विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना
आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि इक्विटी निवेश में सुस्ती के चलते अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 24.7 अरब डॉलर रह गया, जबकि सकल एफडीआई आवक घटकर 54.1 अरब डॉलर रही। इस बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशको (एफपीआई) ने केवल फरवरी में चार सत्रों में भारतीय बाजारों से 6,834 करोड़ रुपये निकाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एफपीआई लगातार चार माह से एफपीआई शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं।

4. महंगे कच्चे तेल की मार
कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है। कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस समेत कई उत्पादों की कीमतों में तेजी आई है। इसका असर मालभाड़े पर पड़ता है जिससे महंगाई बढ़ती है। हालांकि, पेट्रोल-डीजल के दाम तीन माह से नहीं बढ़े हैं लेकिन इससे तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है।

5. रुपया पर दबाव
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 75 के स्तर के करीब पहुंच गया है। एक डॉलर की कीमत 74.92 रुपये पहुंच गई है। कमजोर रुपये से तेल कंपनियों और आयातकों को नुकसान उठाना पड़ता है।

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