उज्जैन के किसानों ने नई फसलें लगाकर पाया अच्छा मुनाफा

 उज्जैन

उज्जैन जिले के किसान फसलों की नई किस्में अपनाकर एवं फसल परिवर्तन कर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। उन्होंने परम्परागत खेती के स्थान पर हैदराबादी गुलाब, प्रताप उड़द, 6444 धान, विराट मूंग, वीएनआर अमरूद आदि फसलें लगाकर खेती को लाभ का धंधा बनाया है। इस कार्य में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग ने उनका पूरा सहयोग किया है।

खेमासा निवासी लाखन सिंह ने इस बार उड़द की प्रताप प्रजाति बोई। बीज का उपचार ट्राइकोडर्मा विरडी, रायजोबियम कल्चर और पीएसबी फफूंद नाशक औषधि से किया। साथ ही उर्वरक की संतुलित मात्रा का उपयोग कर तथा बीज दर निर्धारित मात्रा में रखी। उन्हें इससे प्रति हेक्टेयर 12 क्विंटल उड़द का उत्पादन प्राप्त हुआ, जिसका बाजार मूल्य लगभग 72 हजार रुपये है।

ग्राम ढाबला निवासी देवी सिंह आंजना ने परम्परागत खेती छोड़कर अपनी सवा हेक्टेयर भूमि में हैदराबादी गुलाब की खेती चालू की। आज उनका गुलाब 80 से 100 रुपये किलो के भाव बिकता है। दो साल में उन्होंने 4 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा प्राप्त किया है।

उज्जैन के जितेन्द्र सिंह 20 साल से सोयाबीन की खेती कर रहे थे। इस बार धान की किस्म 6444 बोई। नई फसल होने से कीट लगभग लगे ही नहीं और फसल लगभग 45 से 50 क्विंटल तक आई। धान की इस किस्म में बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इस साल उन्हें खासी आमदनी होगी।

भैंसोदा के नरेन्द्र सिंह भी कई साल से सोयाबीन की फसल लेते थे। इस बार उन्होंने मूंग की विराट किस्म लगाई। शासन से उन्हें नि:शुल्क बीज के साथ बीज उपचार औषधि, पीएचडी कल्चर, एजोटोवेक्टर कल्चर, पोषक तत्व, कीटनाशक दवाइयों पर अनुदान मिला। प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल मूंग हुए। बस फिर क्या था, उन्होंने 58 हजार की फसल तथा 5 हजार रुपये भूसा बेचकर दोहरा लाभ पाया।

खाचरोद निवासी कालूराम धाकड़ ने अपने खेत में अमरूद की उन्नत किस्म वीएनआर के 1800 पौधे लगाये। इस किस्म के एक अमरूद का वजन एक से डेढ़ किलो होता है। अमरूद बाजार में आराम से 50 रुपये प्रति किलो बिका और उन्हें लगभग 10 लाख रुपये का लाभ हुआ।

 

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