हाई कोर्ट ने राज्य व पीएससी नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया

जबलपुर
 हाई कोर्ट ने पीएससी मामले में राज्य शासन व पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। साथ ही परिणाम विचाराधीन याचिकाओं के अंतिम निर्णय के आधीन करने की अंतरिम व्यवस्था दी है।  प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ में सुनवाई हुई। मामला पीएससी पर असंवैधानिक नियम लागू कर पीएससी परीक्षा-2019 का रिजल्ट घोषित करने के आरोप से संबंधित है। इस सिलसिले में पहले से विचाराधीन 45 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है।

असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113 प्रतिशत था : इन याचिकाओं में पीएससी नियमों की संवैधानिकता एवं प्रारंभिक परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम की वैधता को चुनौती दी गई है। उक्त असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113 प्रतिशत था। ये नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावन छात्रों को अनारक्षित, ओपन सीट पर माइग्रेट करने से रोकते थे। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसम्बर, 2021 को इन नियमों को पीएससी ने निरस्त कर दिया। इसी बीच उक्त याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 31 दिसम्बर, 2021को पुराने नियम लागू कर मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि पीएससी ने संशोधित नियमों को दरकिनार करके मुख्य परीक्षा 2019 के परिणाम जारी किए। जबकि यह सामान्य नियम है कि असंवैधानिक नियमों के सम्बंध में उपधारण की जाएगी कि उक्त नियम कभी अस्तित्व में थे ही नहीं फिर भी पीएससी ने लागू किए। लिहाजा, उक्त परीक्षा परिणाम निरस्त किया जाए।

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