नहीं टूट पाईं उम्मीदें और नहीं बिखरे सपने

भोपाल

फसल बीमा योजना

झुलसती गर्मी, कंपकंपा देने वाली सर्दी और बरसात की बौछारों के बीच भी एक किसान अपने खेत पर दिन-रात हाड़-तोड़ मेहनत मशक्कत करता है। कड़ी मेहनत से खेत जोतता है, बुआई करता है, खेतों को खाद-पानी देता है, निदाई-गुड़ाई करता है, जंगली जानवरों और कीटों से फसल की रक्षा करता है। इस सबके पीछे होती है- उम्मीद… कि फसल लहलहायेगी… मंडी ले जाकर बेचेगा… मेहनत का फल मिलेगा… बेटी की शादी करेगा और बेटे को पढ़ने शहर भेजेगा…।

परिश्रम की इस पराकाष्ठा के बाद भी यदि किसी प्राकृतिक विपदा से उसकी फसल नष्ट हो जाए तो इसका दु:ख केवल उसका ही दिल समझता है। उम्मीदें टूट जाती हैं…, सपने बिखर जाते हैं… और पस्त होने लगता है हौसला। दु:ख के इस समय पर यदि मदद और सहारे का कोई हाथ बढ़ा दे तो उसे लगता है जैसे स्वयं ईश्वर ने आकर उसकी मदद की हो…!!

मदद के इस हाथ का नाम है- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। योजना से समय पर मिली सहायता से राजगढ़ जिले की पचोर तहसील के नीनोर गाँव के तीन किसानों का निराशा में डूबा हुआ जीवन आशा की नई किरणों से फिर उजला हो गया है।

नीनोर गाँव के विक्रम सिंह ने 1.7000 हेक्टेयर में, दशरथ सिंह राठौड़ ने और रामनाथ सिंह राठौड़ ने भी दो-दो हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई थी। तीनों ने किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया था। उस वर्ष बहुत अधिक बरसात होने के कारण तीनों किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं थीं। उनको जीवन में अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। उनकी आस टूट चुकी थी।

इन विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उनके लिए मददगार के रूप में आ खड़ी हुई। विक्रम सिंह को 36 हजार रुपये, दशरथ सिंह को 42 हजार 360 रुपये और रामनाथ सिंह को भी फसल बीमा की राशि 42 हजार 360 रुपये मिले। इस मदद से तीनों किसानों के सपने बिखरने से बच गये।

बीमा राशि से अब वे रबी फसल के लिए प्रमाणित गेहूँ का बीज, मसूर, प्याज और लहसुन की फसल लेने के साथ ही खाद, दवाई और पॉवर स्प्रे भी खरीद रहे हैं।

 

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