बैंक ऑफ बड़ौदा को खाद्य तेल कारोबारी ने लगाया 32.5 करोड़ रुपए का चूना, दो सीए भी सीबीआई जांच के दायरे में

कानपुर।  
बैंक ऑफ बड़ौदा को 32.5 करोड़ रुपए का चूना लगाने वाले खाद्य तेल कारोबारी दिनेश अरोड़ा की सीबीआई जांच में दो चार्टर्ड एकाउंटेंट्स फर्म भी फंस गई हैं। इन फर्मों को भी जांच के दायरे में लिया गया है। कृष्णा कंटेनर्स के नाम पर बैंक ऑफ बड़ौदा में कैश क्रेडिट और एलसी यानी लेटर ऑफ क्रेडिट सुविधा लेने के बाद फंड का डायवर्जन कर दिया गया। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत के बाद सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि 39 करोड़ 57 लाख के 26 लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किए गए।

 इसके एवज में लगाए बिल वास्तविक नहीं थे बल्कि केवल एक कंपनी से दूसरी कंपनी में एडजस्ट किए गए थे। इसे देखते हुए सीबीआई ने फर्म के सीए और स्टॉक आडिटर के नाम भी जांच में शामिल किए हैं। सीए पंकज खन्ना एंड एसोसिएट्स और स्टॉक आडिट करने वाले आडिटर सीए मनीष श्रीवास्तव व उनकी फर्म सीए मनीष-अवनीश एंड कंपनी से भी पूछताछ की जाएगी। आडिट कैसे किया गया। लेनदेन की जांच में इतनी लापरवाही कैसे की गई। फर्जी बिलिंग को लेकर कोई सवाल क्यों नहीं उठाए गए, इसे लेकर सभी की भूमिका की जांच की जा रही है।
 

शक के बाद जांच के घेरे में आए
सीबीआई जांच में साबित हो गया है कि कृष्णा कंटेनर्स और उसके सहयोगियों ने जानबूझकर धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। बैंक को धोखा देने के लिए उन्होंने सहयोगी व समूह की फर्मों के साथ एडजस्टमेंट बिल बनाए। चालान और लॉरी रसीदों के आधार पर वास्तविक व्यापार किए बिना और सहयोगियों के खातों के माध्यम से बैंक की धनराशि का गबन किया। हाई सी बिजनेस के माध्यम से कच्चे खाद्य तेल का आयात किया गया, जिसके लिए बैंक की फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट की सुविधा का इस्तेमाल किया गया।

दिनेश ऑयल्स लिमिटेड को इसे बेचा जा रहा था, जो उनकी ही एक सहयोगी फर्म थी। बैंक ऑफ बड़ौदा के लेटर ऑफ क्रेडिट का उपयोग अन्य बैंकों से छूट के लिए किया जाता था, जिसकी जानकारी बैंक ऑफ बड़ौदा को नहीं दी गई। अन्य बैंकों से भी धोखे में रखकर करोड़ों रुपए लिए गए। इतना लंबा फर्जीवाड़ा चार साल तक चला और कंपनी की सीए फर्म और आडिटर को भनक तक नहीं लगी, इसीलिए दोनों फर्मों को भी जांच में शामिल किया गया है।

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