हाईकोर्ट ने कार्यपालन यंत्री को निलंबित करने के आदेश दिए, मध्यप्रदेश में पहली बार

ग्वालियर
 मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब हाईकोर्ट ने किसी अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस एमआर फडके की बैंच ने गलत जानकारी देने के मामले में कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया को निलंबित करने के आदेश दिए हैं।

लोक निर्माण विभाग ने दतिया जिले के धौर्रा होते हुए चूनाघट से चौकी तक साढ़े ग्यारह किमी लंबी सड़क का टेंडर जारी किया था। यह सड़क 12 करोड़ की लागत से तैयारी की जानी थी। इस सड़क के लिए ठेकेदार रविकांत बंसल ने भी टेंडर भरा था, लेकिन उनका टेंडर यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि वर्ष 2020-21 की बैलेंशीट नहीं पेश की गई। यह ठेका केपी सिंह भदौरिया को दिया गया।

MP PWD के कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया हाईकोर्ट के आदेश पर सस्पेंड
इस टेंडर को रविकांत बंसल ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमित बंसल ने तर्क दिया कि 2020-21 की बैलेंशीट पेश किए जाने का आधार बताते हुए टेंडर निरस्त किया गया है। यह टेंडर गलत तरीके से निरस्त किया है। जिससे विरोधी को फायदा पहुंचाया जा सके। कोर्ट के आदेश पर कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया ने जवाब दिया था। उनकी ओर से बताया गया कि 2020-21 की बैलेंशीट की जरूरत नहीं है।

चीफ जस्टिस ने जवाब को गुमराह करने वाला माना। अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांग रहे थे, लेकिन कोर्ट ने उन्हें अतिरिक्त समय नहीं दिया। एमके उदैनिया को निलंबित करने के आदेश दिए है। कोर्ट का पहला ऐसा आदेश है, जिसके पालन में अधिकारी निलंबित होंगे।

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