अभी खत्म नहीं हुआ है कोरोना का खतरा, ओमिक्रॉन का बीए.2 वैरिएंट खड़ी कर सकता है नई चुनौती

नई दिल्ली।
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron) का दूसरा स्वरूप बीए.2 दुनिया के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है। जापान के यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का बीए.2 स्वरूप पुराने स्वरूप बीए.1 की जगह ले रहा है। खासकर यूरोप और एशिया में बीए.2 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बीए.2 स्वरूप दुनिया के स्वास्थ्य के लिए नया खतरा हो सकता है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर केई सातो का कहना है कि अभी बीए.1 और बीए.2 को ओमिक्रॉन माना जा रहा है। जांच में हमने जो पाया है उस आधार पर बीए.2 को विशेष स्वरूप के रूप में इंगित करने की सलाह दी है। इसके अलावा वायरस के इस स्वरूप के बारे में गहन अध्ययन की जरूरत है। अमेरिकी महामारी रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर एरिक फेगल डिंग का कहना है कि बीए.2 स्वरूप लोगों के लिए एक बुरी खबर है। वो भी तब जब दुनिया के कई देशों में कोविड प्रतिबंधों को संक्रमण के कम मामलों के आधार पर खत्म किया जा रहा है।

महामारी के दोबारा लौटने का खतरा बढ़ा
विशेषज्ञों के अनुसार दुनियाभर में ओमिक्रॉन की लहर करीब साढ़े तीन महीने रही। लगातार तीसरे सप्ताह दुनियाभर में संक्रमण की रफ्तार में 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि वायरस के नए स्वरूप ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ओमिक्रोन का बीए.2 स्वरूप दुनियाभर में संक्रमण और मौतों के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी का कारण बन सकता है। ऐसे में महामारी के वापस लौटने का खतरा भी बढ़ गया है।

बीए.2 की चपेट में आया डेनमार्क
डिंग ने ट्रविटर पर कहा है कि डेनमार्क ओमिक्रॉन के बीए.2 वैरिएंट की चपेट में है। वायरस के इस रूप ने पुराने वैरिएंट की जगह ले ली है। आंकड़ों पर गौर करें तो यहां संक्रमण के 90 फीसदी मामलों के लिए बीए.2 स्वरूप ही जिम्मेदार है। यही कारण है कि यहां संक्रमण के मामलों के साथ ही मौतों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यहां के हालात को देखते हुए दुनिया के दूसरे देशों को सतर्क हो जाना चाहिए और आगे की तैयारी पर भी विचार करना चाहिए।

नए स्वरूप के आने का भी खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कोविड-19 की टेक्निकल लीड मारिया वेन खेरकोवे का कहना है कि डेनमार्क में बीए.2 वैरिएंट के प्रकोप को कम करने के लिए काम करना होगा। अगर इसमें कामयाबी नहीं मिलती है, तो अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ेगी और मौतों का ग्राफ भी बढ़ेगा। साथ ही वायरस के नए स्वरूप के आने का खतरा भी बढ़ेगा। महामारी के प्रकोप के कारण आने वाले समय में स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों से जूझने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा होगा।

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