ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री हेमानंद बिस्वाल का 83 साल की उम्र में निधन, राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि

भुवनेश्वर
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमानंद बिस्वाल का शुक्रवार को निधन हो गया। 83 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी सुनीता बिस्वाल की ओर से दी गई है। आपको बता दें कि हेमानंद बिस्वाल पिछले कई दिनों उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था।

हेमानंद बिस्वाल के निधन पर दिग्गज नेताओं ने प्रकट की संवेदना

– कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सांसद राहुल गांधी ने हेमानंद बिस्वाल के निधन पर कहा है कि उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। वह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता थे और उन्हें एक महान आदिवासी नेता के रूप में याद किया जाएगा।

– हेमानंद बिस्वाल के निधन पर कई दिग्गज नेताओं ने शोक प्रकट किया है। ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा है कि हेमानंद के निधन से राज्य में पार्टी का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा है कि ओडिशा कांग्रेस में कोई उनकी जगह नहीं ले पाएगा।

– केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर कहा है, "ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हेमानंद बिस्वाल के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख पहुंचा है। आज ओडिशा ने एक सक्षम, दुर्लभ और अनुभवी राजनेता को खो दिया। उन्होंने राज्य के विकास के लिए और खासकर जनजातियों के लिए विशेष योगदान दिया।

– पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में कांग्रेस से अलग होने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हेमानंद बिस्वाल के निधन पर ट्वीट कर कहा है कि बिस्वाल जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख पहुंचा है। उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।

हेमानंद बिस्वाल का राजनीतिक करियर

आपको बता दें कि हेमानंद बिस्वाल सुंदरगढ़ जिले की लाइकेरा सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने पहला चुनाव 1974 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। वो 6 बार इस सीट से विधायक बने। 1 दिसंबर 1939 को जन्मे बिस्वाल दो बार ओडिशा के सीएम बने। पहला टर्म उनका 7 दिसंबर 1989 से 5 मार्च 1990 तक रहा तो वहीं दूसरा टर्म 6 दिसंबर 1999 से 5 मार्च 2000 तक। 2009 में उन्हें सुंदरगढ़ सीट से लोकसभआ सांसद चुना गया। उन्हें ओडिशा में आदिवासी समाज का नेता कहा जाता था।

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