रोडवेज ने किराये पर ली 32 हजार वर्गफुट जमीन को 32 करोड़ रुपए में बेचा 

गुना

गुना शहर के बीचों-बीच जय स्तम्भ चौराहे पर स्थित करोड़ों रुपए की बस स्टैण्ड की जमीन के बिकने के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस बस स्टैण्ड के असली मालिक सामने आ गए हैं, वे कह रहे हैं कि हमने तो रोडवेज को जनहित में बस संचालन के लिए यह जगह किराए पर दी थी। इस जमीन को रोडवेज ने कैसे 32 करोड़ में बेच दी। रोडवेज ने हाईकोर्ट द्वारा सन् 1959 में दिए गए उस आदेश की धज्जियां भी उड़ा दीं जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे की राशि देने के बाद भी इस जमीन के मालिक कन्हैयालाल आदि होंगे। उधर इस जमीन के बिकने के बाद यह तस्वीर सामने आई है कि जिस विभाग द्वारा बस स्टैण्ड की इस जमीन को बेचने की प्रक्रिया बताई जा रही है, उस विभाग की बेवसाइट में इसकी नीलामी तक का उल्लेख नहीं हैं। इस फर्जीवाड़े का पूरा मामला जल्द हाईकोर्ट जा सकता है। इस आशय की जानकारी बस स्टैण्ड की जमीन के असली मालिकों ने दी।

ये है मामला
रोडवेज बस स्टैण्ड की 32 हजार वर्गफुट जमीन के मालिक सन् 1959 से पूर्व गुना के निवासी कन्हैयालाल, बल्लभ दास, श्याम बाबू और गुुरुदयाल थे। इस जमीन को जनहित में बस स्टैण्ड के संचालन के लिए कन्हैयालाल आदि ने रोडवेज को मामूली किराए पर दी थी। रोडवेज के बंद होने के बाद यहां आरटीओ ऑफिस संचालन होने लगा था। कुछ समय पूर्व आरटीओ ऑफिस दूसरी जगह चला गया। इसी बीच ऐसी लोक परिसंपत्तियों को बेचने के लिए लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा डेढ़-दो वर्ष पूर्व टेण्डर प्रक्रिया आमंत्रित की, जिसमें 63 करोड़ रुपए का टेण्डर अशोक रघुवंशी जमरा के नाम से खुला, इसके बाद उन्होंने कोरोना संक्रमण काल लगने से विक्रीत भूमि की राशि को जमा करने का छह माह का समय मांगा, लेकिन उक्त विभाग 15 दिन से ज्यादा समय देने को तैयार नहीं था। आखिर में उसका टेण्डर निरस्त कर दिया। इसके बाद मंत्रि परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को रखा गया, और नियम विरुद्ध टेण्डर आमंत्रित किए, उसमें नीलाम की राशि 63 करोड़ रुपए की जगह 32 करोड़ में गुना इंडिया बिल्डकॉन को नीलाम के जरिए उक्त विभाग ने दे दी थी। जबकि नियमानुसार यह भूमि रोडवेज और आरटीओ ऑफिस के बंद होने के बाद पूर्व के मालिकों की सुपुर्दगी में आ जानी थी। इसके बिकने से शासन को लगी 31 करोड़ रुपए की चपत का खुलासा पत्रिका ने चार मार्च को किया था। इसके बाद कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने इस पूरे मामले को विधानसभा में उठाने की बात पत्रिका से पांच मार्च को कही थी।

हाईकोर्ट ने हमें माना था मालिक
इस जमीन के असली मालिक कन्हैयालाल, बल्लभ दास, श्याम बाबू और गुरुदयाल के वारिस और एडवोकेट डा. पुष्पराग रविवार को गुना के अखबार के सामने आए और दस्तावेज प्रस्तुत कर कहा कि सन् 1959 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर याचिका की सुनवाई कर अपने आदेश में कहा था कि इस जमीन के असली मालिक याचिकाकर्ता एक से चार यानि कन्हैयालाल,बल्लभ दास, श्याम बाबू, और गुरुदयाल होंगे, मुआवजे की राशि रोडवेज को अदा करना होगी और किराया भी देना होगा। रोडवेज ने न तो उनको मुआवजा दिया और न ही किराया अदा किया।रोडवेज जो किराएदार थी उसको हमारी संपत्ति बेचने का अधिकार ही नहीं था। हम इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पुन: जाएंगे। जब उनसे पूछा गया कि इस जमीन के मालिकों में शैफुदï्दीन कौन है, इस पर उनका कहना था कि उनकी जमीन जीनघर के अंदर है, उनसे भी हमारा मामला कोर्ट में चल रहा है, हाईकोर्ट से हम जीत गए हैं, शैफुद्दीन की और से सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील की हुई है, वहां मामला लंबित है। इस मामले में विभाग के चीफ जनरल मैनेजर प्रदीप जैन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मंत्रि परिषद का निर्णय है, ज्यादा कुछ जानकारी चाहिए तो भोपाल आना पड़ेगा।

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