डायल 100 : एजी की पांच साल की रिपोर्ट में खुली 633 करोड़ की डायल 100 की कलाई, पुलिस ने ही करा दी फेल

ग्वालियर
मध्यप्रदेश में सात साल पहले 633 करोड़ के बजट से शुरु हुई डायल 100 योजना फेल साबित हुई। इसका संचालन कर रहे पुलिस विभाग की अनदेखी और लापरवाहीही इसका लक्षय पूरा न करने के लिये जिम्मेदार है। अब ना तो टाइम लिमिट में पीड़ित को मदद मिली और ना ही डाटा कलेक्शन ठीक से हो पाया।

अकाउंटेंट जनरल की जारी हुई रिपोर्ट में मप्र में बीते 2015 में शुरु हुई डायल 100 योजना की कलई खोलकर रख दी है। मप्र के गृह विभाग द्वारा संचालित योजना में जिस तरह से जिम्मेदार अफसरों से उदासीनता का परिचय दिया इससे यह अपने टारगेट को पूरा नही कर सकी। एजी की रिपोर्ट में 2015 से 2020 तक के समय के आधार पर समीक्षा की गई है। इस रिपोर्ट में साफ उल्लेख किया है कि डायल 100 में औसत प्रतिक्रिया समय शहरी क्षेत्र मे 30 मिनट था। जबकि शहरी क्षेत्र में यह 24 और ग्रामीण क्षेत्र में 56 मिनट रहा।  इससे उसके उद्देश्य की प्राप्ति नही हो सकी। इसमें यह भी उल्लेख है कि निगरानी में लगे पुलिस कर्मी भी सुस्त थे और प्रणाली में आवश्यकतानुसार आॅन साइट ड्युटी नहीं दी गई। इसके साथ ही पुलिस विभाग ने स्टाफ भी पर्याप्त तौर पर डायल 100 में उपलब्ध नहीं कराया।

100 कॉल में से केवल 2 का अपडेट
रिपोर्ट में उल्लेख है कि डायल 100 के कॉल प्रणाली की समीक्षा की गई। इसमें औसतन 100 कॉल में से केवल 20 को कार्रवाई योग्य माना गया। इतना ही नही इस कार्रवाई कॉल योग्य कॉल मे ंकेवल 2 का ही डाटा अपडेट था।

सलाहकार ने लिए सालाना 72 लाख रुपए, काम किया नहीं
रिपोर्ट में डायल 100 परियोजना के सलाहकार की भी जमकर बखिया उखेड़ीं गई है। इसमे उल्लेख है कि प्रबंधन सलाहकार को 72 लाख प्रति वार्षिक की लागत से अनुबंधि किया गया था। उन्होंने सिस्टम के सेवा स्तरों की निगरानी नही की। ना ही उनका डाटा तैयार किया।

शुरुआती प्लानिंग ही फेल
रिपोर्ट में साफ उल्लेख  है कि डायल 100 की शुरुआती प्लनिंग ही ही गलत थी। इसके चलते प्लानिंग फेल हो गई। बताया गया कि एफआरवी री प्लानिंग में एक पुलिस स्टेशन के हिसाब से दी गई। जबकि भौगोलिक व जनसंख्या व यातायात का ध्यान जरा भी नही रखा गया।

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