रिटायरमेंट के बाद चाहते हैं बेहतर जीवन तो एनपीएस सबसे बेहतर

नई दिल्ली

कुछ वर्ष पहले लोगों की रिटायरमेंट योजनाएं जानने को लेकर एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे में 44 प्रतिशत लोगों ने आय बरकरार रखने के लिए सेवानिवृत्त न होने की इच्छा जताई थी, जबकि 33 प्रतिशत लोगों ने रिटायरमेंट को लेकर कोई योजना नहीं बनाने की बात कही थी। पांच वर्ष पहले आरबीआई की ओर से किए गए पारिवारिक वित्त सर्वे में भी कुछ यही बातें सामने आई थीं। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया था कि अधिकांश लोग लंबी अवधि की बचत पर महंगाई के बुरे प्रभावों से अनभिज्ञ हैं। इससे लोगों के सामने अपनी मौजूदा जीवनशैली को बनाए रखने की आवश्यकता से रिटायरमेंट के समय कम फंड की उपलब्धता का खतरा था।
 

इसी रिपोर्ट में दी गई सलाह के आधार पर नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में निवेश के नियमों को आसान बनाया गया है। जानकारों का कहना है कि नियमों में आसानी के बाद एनपीएस न केवल रिटायरमेंट के बाद लोगों को उनकी जीवनशैली के अनुसार खर्च के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध करा रहा है, बल्कि लोगों को सम्मान के साथ बेहतर जीवन जीने का अवसर दे रहा है।

पांच करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर
2022 में एनपीएस और एपीवाई के सब्सक्राइबर्स की संख्या पांच करोड़ के पार पहुंच गई है। हालांकि, विकसित देशों के मुकाबले रिटायरमेंट योजना के मामले में भारत अभी काफी पीछे है।

निवेश का कम खर्च
एनपीएस में फंड प्रबंधन की लागत केवल 0.09 प्रतिशत है। लोग अब रिटायरमेंट योजनाओं को लेकर जागरूक हो रहे हैं। यही कारणहै कि वित्त वर्ष 2021 में एनपीएस में योगदान करने वालों की संख्या में 38.18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

एनपीएस फंड के निवेश का दायरा भी बढ़ा
निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा रिटर्न देने के लिए पीएफआरडीए लगातार एनपीएस से जुड़े नियमों को बेहतर बना रहा है। जुलाई 2021 में पीएफआरडीए ने एनपीएस फंड निवेश के दायरे को बढ़ाकर शीर्ष 200 इक्विटी स्टॉक कर दिया था। इससे एनपीएस फंड को अच्छी गुणवत्ता वाली मिड-कैप कंपनियों के शेयर भी निवेश किया जा सकेगा।

रिटायरमेंट पर एकमुश्त मिलती है 60 प्रतिशत राशि
एनपीएस में रिटायरमेंट के समय निवेशक को 60 प्रतिशत राशि एकमुश्त मिलती है। यह राशि करमुक्त होती है। 40 प्रतिशत राशि को पेंशन में बदल दिया जाता है। यह पेंशन निवेशक के पूरे जीवनकाल में मिलती है।

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