वर्षा जल बचाने और जल-संरक्षण के लिए करने होंगे हर संभव प्रयास – मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हेंडपंप के स्थान पर अब हर घर को नल से जल मिल सके, इसके लिए प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्य जारी है। सिंचाई का रकबा 43 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर तक पहुँचाना है। लेकिन इस सब के लिए पानी चाहिए। वर्षा जल को हम कैसे सुरक्षित कर पाए, इसके लिए हमें हर संभव उपाय करना होंगे। मुख्यमंत्री चौहान विश्व जल दिवस पर प्रदेश में पानी बचाने के लिए आगामी समय में चलाई जाने वाली गतिविधियों की निवास कार्यालय में समीक्षा कर रहे थे।

मुख्यमंत्री चौहान जल जीवन मिशन में बुरहानपुर जिले के ग्रामीण अंचलों में 30 मार्च को हर घर में नल और हर नल में जल का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान बुरहानपुर में आयोजित जिला जल संसद में भी शामिल होंगे। जल जीवन मिशन में प्रत्येक घर में नल से जल प्रदाय सुनिश्चित करने के लिए गाँवों में भू-जल आधारित स्त्रोत सृजित किए गए हैं। इन स्त्रोतों को संवहनीय बनाने के लिए जल-संरक्षण और भू-जल रिचार्ज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री जल शक्ति अभियान आरंभ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वर्षा के जल को संग्रहीत करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। जलाभिषेक अभियान में विभिन्न जल-संरचनाओं जैसे स्टाप डेम, चैक डेम आदि के निर्माण का लक्ष्य यही था कि वर्षा जल का अधिक से अधिक संरक्षण हो। नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य भी व्यापक स्तर पर आरंभ किया गया था। कोविड काल में यह गतिविधियाँ थम गई थी, लेकिन अब पुन: पानी बचाने के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर कार्य करना है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वर्षा जल को संरक्षित रखने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल-संरक्षण के लिए जल-संरचनाएँ बनाने का आंदोलन आरंभ किया जाएगा। जनअभियान परिषद इन गतिविधियों को अभियान के रूप में संचालित करने के उद्देश्य से स्वयंसेवी संस्थाओं और जन-सामान्य को जोडे़गी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जन-भागीदारी से जल-संरक्षण की गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी। जन-सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जल बचाने की भावना को विकसित करने के उद्देश्य से जन-जागरण अभियान संचालित किया जाएगा। जल का अनावश्यक व्यय न हो, इस पर भी लोगों को शिक्षित किया जाएगा। कृषि में नहर के स्थान पर स्प्रिंक्लर और ड्रिप से सिंचाई को प्रोत्साहित किया जाएगा। पानी बचाने की इन गतिविधियों के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। जल-संरक्षण के लिए जल-संरचनाओं का निर्माण कर नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। वन क्षेत्रों में भी स्टाप डेम और चैक डेम बनाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वर्षा ऋतु आरंभ होने पर विस्तृत रूप से वृक्षारोपण अभियान संचालित किया जाएगा। वर्षा जल को संरक्षित करने में वृक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वृक्ष, जल अवशोषित करते हैं। वृक्षों में अवशोषित जल से ही नर्मदा जी जैसी नदियाँ जीवित रहती हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि जल-जीवन मिशन में ग्रामों और बसाहटों को जिन जल स्रोतों से जल आपूर्ति की जाएगी उनकी निरंतरता और संवहनीयता का विशेष ध्यान रखा जाए।

बैठक में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के महानिदेशक बी.आर. नायडू, अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं पर्यावरण मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव, तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में वर्ष 2022-23 में संचालित होने वाले जल अभिषेक अभियान के क्रियान्वयन और हर घर में नल और हर नल में जल के लक्ष्य से क्रियान्वित किए जा रहे जलजीवन मिशन की जानकारी दी गई। बताया गया कि जल अभिषेक अभियान में 30 मार्च को संपूर्ण प्रदेश में जिला-स्तर पर जल संसद का आयोजन किया जाएगा। जल बचाने और वर्षा जल के संरक्षण के लिए जल – जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। इस वर्ष जल अभिषेक अभियान के अंतर्गत पुरानी जल-संरचनाओं के पुनर्जीवन के लिए पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान चलाया जा रहा है।

अभियान के अंतर्गत समाज की सहभागिता और विभिन्न शासकीय योजनाओं के माध्यम से वर्षा जल-संरक्षण और भू-जल संवर्धन के नवीन कार्य, भू-जल रिचार्ज, नदी पुनर्जीवन कार्य, वन क्षेत्रों में जल संरक्षण और संवर्धन के कार्य, वृक्षारोपण, निजी खेतों में जल-संग्रहण और ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर से सिंचाई को प्रोत्साहन जैसी गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी।

जल अभिषेक अभियान में समुदाय की सहभागिता के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता और उन्मुखीकरण की गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी। वर्षा जल-संरक्षण और भू-जल संवर्धन के लिए जिन कार्यों को अभियान में क्रियान्वित किया जाना है, उन्हें 5 अप्रैल तक चिन्हित कर लिया जाएगा। इन कार्यों की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति 9 अप्रैल तक जारी कर दी जाएगी। जल अभिषेक अभियान में यह सभी कार्य 10 अप्रैल से आरंभ हो जाएंगे। सभी कार्य वर्ष भर जारी रहेंगे।

बैठक में बताया गया कि पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान में लगभग 45 हजार पुरानी जल संग्रहण संरचनाओं को चिन्हित किया गया है। इनमें से 30 हजार में कार्य आरंभ हो गया है। सभी 45 हजार संरचनाओं से लगभग 2 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुनिश्चित होगी।

 

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