छतरपुर में एक बार फिर तालाबों पर अतिक्रमण हटाने की कवायद शुरु

छतरपुर
 शहर के प्राचीन तालाबों पर अतिक्रमण हटाने की कवायद एक बार फिर शुरु हो गई है। हाईकोर्ट के 2014 के आदेश पर सीमांकन व अतिक्रमण चिंहित करने की टीम बनाई गई है। शहर के प्रताप सागर तालाब, रानी तलैया, किशोर सागर तालाब, ग्वालमंगरा तालाब, संकट मोचन तालाब, सांतरी तलैया और विंध्यवासिनी तलैया के सीमांकन कराए जाने के लिए 13 सदस्यीय टीम का गठन किया था। दल तालाबों के सीमांकन में जुट गया है। सीमांकन की शुरुआत ग्वाल मंगरा तालाब से की गई। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी नापतौल में ग्रीन बेल्ट, कैचमेंट एरिया और बंधान भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को छोड़ दिया गया। केवल पानी के अंदर बने मकानों को ही अतिक्रमण चिंहित किया जा रहा है। ग्वालमंगरा तालाब के कैचमेंच एरिया में भाजपा जुड़े नेताओं के अतिक्रमण को टीम ने चिंहित ही नहीं किया है।

कैचमेंच एरिया, बंधान और ग्रीन बेल्ट की नहीं हो रही नापतौल
शहर के सभी तालाबों के कैचमेंच एरिया में कॉलोनियां बसा दी गई है। जबकि कैचमेंट एरिया तालाब की तरह सरकारी जमीन होती है। तालाब के बंधान और ग्रीन बेल्ट में भी घर बनाए गए है। जो कि एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक अवैध है। लोगों ने सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर तालाब की जमीनों की रजिस्ट्री कराकर मकान बना लिए हैं। गौरतलब है सीमांकन करने वाली टीम को तालाब के कैचमेंट एरिया, बंधान और ग्रीनबेल्ट का सीमांकन करना चाहिए। लेकिन कलेक्टर के निर्देश पर बनाई गई टीम ने ग्वालमंगरा तालाब के कैचमेंट, बंधान और ग्रीनबेल्ट एरिया में हुए अतिक्रमण को छोड़ दिया। इनकी नापतौल ही नहीं की गई।

तालाब के बीच तक पहुंच गए मकान, हो गई प्लाटिंग
छतरपुर के ग्वाल मंगरा तालाब, संकट मोचन तालाब, सांतरी तलैया, किशोर सागर तालाब को प्रशासन की लगातार उदासीनता के कारण अतिक्रमणकारियों ने अपने शिकंजे में ले रखा है। पिछले 10 वर्षों में ग्वाल मंगरा तालाब और संकट मोचन तालाब पर सर्वाधिक अतिक्रमण हुआ है। अतिक्रमणकारियों ने तालाबों के भराव क्षेत्र की खाली हुई जमीनों पर प्लाटिंग तक कर डाली। संकट मोचन तालाब और ग्वाल मंगरा तालाब का आलम ये है कि यहां तालाब के बीच तक मकान नजर आ रहे हैं।

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