बीजेपी की कोशिश, सी ग्रेड को ‘ए’ में लाने की तैयारी

भोपाल

बीजेपी का बूथ सशक्तिकरण अभियान (बीएसए) मध्यप्रदेश में शुरू होने के बाद तीन हजार कमजोर बूथों पर सांसद और करीब छह हजार बूथों पर विधायकों को अगले दस दिन में पहुंचना होगा। इस अभियान की खास बात यह है कि अगले तीन दिन में इसका रजिस्ट्रेशन सांसद-विधायक खुद करेंगे और जहां वे खुद या अधिकृत प्रतिनिधि को भेजेंगे, उसकी रिपोर्ट दिल्ली भेजेंगे। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इसकी मानीटरिंग के लिए दिल्ली में टीम तैयार कर रखी है जो यह बताएगी कि कौन सा सांसद या विधायक अपने क्षेत्र के कमजोर बूथ पर अब तक नहीं पहुंचा है। इसके लिए सीधे संवाद करने के साथ प्रदेश संगठन के जरिये भी कार्यवाही कराने के लिए कहा जाएगा। जहां बीजेपी के सांसद और एमएलए नहीं हैं, वहां पार्टी के तरफ से कोई अधिकृत व्यक्ति पूर्व विधायक, सांसद या प्रतिनिधि जाएगा।

बीजेपी की कोशिश है कि सी ग्रेड में आने वाले ऐसे बूथ जिन पर भाजपा कभी नहीं जीती। ऐसे सभी सी ग्रेड के बूथों को मजबूत बनाना है। सभी कमजोर सी ग्रेड बूथों को ए ग्रेड और बी ग्रेड में बदलने का प्रयास करना होगा। प्रत्येक सांसद को उनके संसदीय क्षेत्र के ऐसे 100 कमजोर बूथों पर लगातार प्रवास करना होगा। इसमें स्थानीय कार्यकर्ता, बूथ कमेटी व विधायक भी उनकी मदद करेंगे। कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए हितग्राहियों से नियमित संपर्क व संवाद किया जाएगा। पार्टी यह भी जानना चाहती है कि जो लोग योजनाओं का लाभ ले रहे हैं और उसके बाद भी बीजेपी को वोट नहीं कर रहे हैं, उसकी वजह क्या है? इस गैप को दूर करने के लिए क्या करना होगा और कैसे स्थिति में सुधार लाया जा सकता है? अब तक योजनाओं वंचित परिवारों को लाभांवित कराने का अभियान भी चलेगा। यह सभी जानकारी बीजेपी के सरल पोर्टल पर सांसदों और विधायकों को खुद ही दर्ज करना होगी।

तीन कैटेगरी में बंटे विस और लोस के बूथ
पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लोकसभा क्षेत्र के लिए खासतौर पर तैयार कराई गई रिपोर्ट में बूथों को तीन ग्रेड ए, बी, सी में बांटा गया। पहली कैटेगरी में वे बूथ शामिल हैं, जहां बीजेपी हमेशा जीतती है, दूसरी कैटेगरी में बी में जहां कभी हार और कभी जीत मिलती है या फिर लगातार जीतने के बाद अब हार की स्थिति बन रही है और तीसरी कैटेगरी सी में वे बूथ शामिल किए गए हैं जहां भाजपा कभी जीत ही नहीं पा रही है।

बूथ पर जाकर बात करना, नाम, मोबाइल नम्बर नोट करना होगा
जिन बूथों पर भाजपा को अब तक सफलता नहीं मिली है। उसको मजबूत बनाने के लिए सभी सांसद, विधायकों को एक लक्ष्य दिया गया है। उनको हर कमजोर बूथ पर एक निश्चित संख्या में लोगों से बात करनी है और उसका फीडबैक दिल्ली भेजना है। इसमें बूथ क्षेत्र के लोगों का नाम, पता, बूथ नंबर और फोन नंबर भी भेजना है। सांसदों के क्षेत्र के 100 और विधायकों को 25-25 कमजोर बूथों पर जाना होगा।

यह व्यवहारिक दिक्कत भी
बूथ प्रवास के दौरान सांसदों, विधायकों के समक्ष यह परेशानी आना तय माना जा रहा है कि उन्हें लोगों के फोन नम्बर, नाम पता लेने में दिक्कत होगी। ज्यादातर लोग अपना फोन नंबर नहीं देना चाहते, यह भी दिक्कत होगी। साथ ही धुर आदिवासी बहुल और ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास फोन नंबर भी नहीं होते हैं। यह समस्या भी है लेकिन संगठन ने कहा है कि ऐसे लोगों से संवाद और जानकारी देना ही होगी।

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