सरपंच, जनपद-जिला पंचायत सदस्य पति न जाएं मीटिंग में, आदेश पर करे अमल

भोपाल

पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव होने के बाद अब ग्राम एवं नगर सरकार में सरपंच एवं पार्षद पतियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास द्वारा 7 साल पहले जारी निर्देश पर सख्ती से अमल करने की मांग ग्रामीण क्षेत्रों में की जाने लगी है और बैठकों में सरपंच, जनपद व जिला पंचायत सदस्य के पतियों की मौजूदगी पर आपत्ति की जा रही है, उधर इसी आदेश के आधार पर नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिकाओं में पार्षद पद पर निर्वाचित होने वाली महिलाओं के पतियों के मौजूद रहने पर भी रोक लगाने की मांग की जा रही है।
पंचायतों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पति और परिजनों की मौजूदगी की बदौलत प्रभावित होने वाले कामों को देखते हुए राज्य शासन ने 28 अप्रैल 2015 को एक आदेश सभी कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जनपद पंचायत को जारी किया था। इस आदेश में कहा गया था कि पंचायत राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और पंचायतों में महिलाओं के अधिकाधिक प्रतिनिधित्व के लिए जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% पद आरक्षित किए गए हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार ने यह व्यवस्था बनाई है। ताकि निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के सशक्तिकरण के साथ ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका को मजबूत बनाने के लिए ग्राम सभाओं में महिला सरपंच और पंचों की सक्रिय भागीदारी मजबूत हो। आदेश में कहा गया था कि महिला आरक्षित पदों पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के बदले ग्राम पंचायत और ग्राम सभा की बैठकों व संचालन उनके परिवार के पुरुष पति एवं अन्य परिजन द्वारा किया जाता है, यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यदि कोई सरपंच पति या पंच पति महिला सरपंच एवं पंच के स्थान पर ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेता पाया जाता है तो संबंधित महिला सरपंच पंच के विरुद्ध पद से विधिवत हटाने की कार्यवाही की जाए।

जिला, जनपद पंचायत सदस्य, पार्षदों के मामले भी लागू हो आदेश
 राज्य शासन के इसी आदेश को अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से सख्ती से लागू करने की मांग ग्रामीण क्षेत्रों में की जाने लगी है क्योंकि गांवों में होने वाली बैठकों में निर्वाचित पंच सरपंच जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के बजाय उनके पति और परिजन ही मौजूद पाए जा रहे हैं। कई स्थानों पर तो महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति एवं परिजनों ने निर्वाचित होने के बाद ली जाने वाली शपथ ग्रहण की है। यह मामला सोशल मीडिया में भी जमकर वायरल हुआ है और ऐसे मामले में शासन ने ग्राम सहायकों, पंचायत सचिवों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इसलिए अब यह मांग की जा रही है कि 7 साल पुराने आदेश पर सख्ती से अमल करने के निर्देश दिए जाएं और ऐसा न करने वाले अफसरों पर कार्यवाही की जाए। साथ ही जिला और जनपद पंचायत में भी यह व्यवस्था लागू हो। दूसरी ओर पंचायत की तर्ज पर शहरी क्षेत्र के में भी नगर सरकार में भूमिका निभाने वाली महिलाओं के पति और परिजन ही बैठकों में सकरी देखे जा रहे हैं। इसलिए शहर सरकार में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए  नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिका की बैठकों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पति एवं परिजनों की मौजूदगी पर रोक लगाने की मांग की जा रही है।

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