अनुसूचित जाति पैनल: AMU में कोटा लागू करो, नहीं तो हम करेंगे

 नई दिल्ली
अनुसूचित जाति पैनल के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में दलित छात्रों के लिए कोटा लागू करना गंभीर विषय है और अगर यूनिवर्सिटी इसे लागू नहीं करती है, तो अगले महीने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन (NCSC) इस संबंध में आदेश पास करेगा। 
 
एएमयू को इस संबंध में कमिशन से नोटिस मिला था। इस नोटिस के अनुसार उसे अपने संस्थान में 3 अगस्त तक अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए तय नियमों मुताबिक कोटा सुनिश्चित करनी है। 

NCSC के अध्यक्ष और आगरा से बीजेपी सांसद कठेरिया ने कहा, 'अगर तय समय तक एएमयू प्रशासन ऐसा नहीं करता है, तो फिर कमिशन इस संबंध में सुनवाई करेगा और तय नियमों के तहत कोटा लागू करने के लिए आदेश पास करेगा।' 

सोमवार को कठेरिया से अलग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए HRD मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी बताया कि मंत्रालय ने इस संबंध में AMU को पत्र लिखकर कोटा के लिए योग्य छात्रों के साथ 'न्याय' करने की मांग की है। मंत्रालय ने इस संबंध में संज्ञान लेते हुए AMU से जवाब तलब किया था और अब उसे AMU के जवाब का इंतजार है। 

इससे पहले भी AMU के अल्पसंख्यक दर्जे और कोटा के मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी तब खूब हुई थी, जब राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अपनी एक रैली में इस विषय को जोर-शोर से उठाया था। AMU में कोटा सिस्टम पर सवाल उठाते हुए योगी ने अपनी विरोधी राजनीतिक पार्टियों पर दलितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने विरोधियों से सवाल किया था कि आखिर आज तक यूनिवर्सिटी में दलितों के लिए कोटा क्यों नहीं लागू हो पाया? अपने भाषण में योगी ने कहा था, 'जो लोग आज यह कह रहे हैं कि दलितों को दबाया जा रहा है। उनसे यह भी पूछना चाहिए कि इस मुद्दे को वे कब उठाएंगे, जिससे हमारे दलित भाइयों को AMU और जामिया मिलिया इस्लामिया में ऐडमिशन का लाभ मिल सके।' 

कठेरिया ने कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों में दलितों के लिए कोटा सिस्टम का न होना कांग्रेस की 'तुष्टिकरण की नीति' का एक और जीता जागता सबूत है। उन्होंने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, तब से उसने AMU के अल्पसंख्यक वाले दर्जे पर सरकार का स्टैंड बदला है और कमिशन का यह ताजा कदम इसी बात का उदाहरण है। 

कठेरिया ने कहा कि AMU को NCSC के ऑर्डर को मानना ही होगा अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो NCSC सरकार से प्रार्थना करेगी कि वह उसे ग्रांट देना बंद करे। हम पहले ही AMU की फंडिंग पर सवाल उठा चुके हैं क्योंकि वह कोटा नीति का पालन नहीं कर रहा है। 

कठेरिया ने कहा कि AMU ने एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के साथ दशकों से अन्याय किया है, जिसने आज तक उन्हें कोटा नहीं दिया, जबकि AMU के पास 'अल्पसंख्यक संस्थान' का दर्जा ही नहीं है, जिससे कि वह सिर्फ मुस्लिम छात्रों के लिए कोटा निर्धारित कर सके। 

NCSC के चेयरमैन ने कहा कि AMU में हर साल 30,000 ऐडमिशन होते हैं और कोटा कैटिगरी के अंतर्गत आने वाले 14000 छात्रों को वह हर साल ऐडमिशन देने से मना कर देता है, जबकि इस संस्थान को हर साल सरकार से 1100 करोड़ रुपये आवंटित होते हैं। 

कठेरिया ने सवाल किया कि पिछले साल AMU को सरकार से 1160 करोड़ का केंद्रीय फंड आवंटित हुआ था, इसके अलावा इस यूनिवर्सिटी में भी देश की अन्य 46 यूनिवर्सिटी की ही तरह ही वीसी की नियुक्ति होती है। यूजीसी के अन्य नियम भी यहां सामान्य रूप से ही फॉलो होते हैं, तब सिर्फ यहां कोटा ही क्यों प्रभावी नहीं है? 

कठेरिया ने कहा कि HRD मिनिस्ट्री और अल्पसंख्यक कमिशन दोनों ही यह बता चुके हैं कि AMU के पास 'अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान' का कोटा नहीं है। इसलिए उसके पास कोटा सिस्टम को नहीं मानने का कोई आधार नहीं है। 'साल 2005 में जब अर्जुन सिंह देश के HRD मंत्री थे, तब मंत्रालय ने AMU को मुस्लिम छात्रों के लिए 50 फीसदी सीटें रिजर्व रखने का अधिकार दिया था, जिस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगले ही साल रोक लगा दी थी। हालांकि इसके बावजूद रिकॉर्ड बताते हैं कि AMU ने इसके बाद भी मुस्लिम छात्रों के लिए कोटा बरकरार रखा, जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है।' 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button