नौकरी छोड़ सेना में हुईं शामिल तो किसी ने सैनिकों के भोजन का उठाया बीड़ा, यूक्रेन युद्ध में कैसे लड़ रहीं महिला

यूक्रेन
यूक्रेनी शहर माइकोलाइव पर हमले के बाद वहां की महिलाएं भी युद्ध से जुड़े कामों में शामिल हो गईं। कुछ सेना में शामिल होकर युद्ध लड़ने लगीं तो कुछ ने सैनिकों और नागरिकों को भोजन व अन्य सामान पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया। दरअसल, युद्ध के दौरान खेरसों पर रूसी सेना के कब्जे के बाद तेजी से माइकोलाइव पर भी खतरा मंडराने लगा था। रूसी सेना के लिए ब्लैक सी के यातायात केंद्र ओडेसा शहर पर कब्जा करने के लिए माइकोलाइव पर कब्जा करना जरूरी था। इसलिए रूसियों ने माइकोलाइव पर बड़े पैमाने पर और क्रमबद्ध ढंग से तोप के गोले चलाना शुरू कर दिया। रूस ने जिस दिन उनके देश पर हमला शुरू किया था, स्विटलाना तारानोवा उसी दिन अपने जन्मस्थान दक्षिणी शहर माइकोलाइव में यूक्रेनी सेना में शामिल हो गई थीं। करीब 50 साल की उम्र की तारानोवा उससे पहले एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मैनेजर थीं। तारानोवा ने बताया, '24 फरवरी की सुबह 11 बजे टेरीटोरियल डिफेंस के साथ मेरे कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर हुए। यह कोई त्याग नहीं था, बल्कि उस समय एकमात्र यही फैसला लेना मुमकिन था।'

मुठभेड़ में भी शामिल हो जाती हैं तारानोवा
इन्फेंट्री में शामिल होने के बाद तारानोवा अक्सर रूसी सैनिकों के साथ करीब से मुठभेड़ में भी शामिल हो जातीं। उन्होंने बताया, 'शुरू में मुझे क्लस्टर बमों से बहुत डर लगता था, जब भी एक फटता था तब मेरे दिल की धड़कन रुक जाती थी। लेकिन फिर डर की जगह दृढ निश्चय ने ले ली। मुझे अब छुपने की जरूरत नहीं महसूस होती है। मुझे अब बस बदला चाहिए।'

सैनिकों के लिए भोजन का इंतजाम करती महिलाएं
तारानोवा जब रूसियों के खिलाफ जंग में लड़ रही थीं, तब दूसरी महिलाएं युद्ध में दूसरे तरीकों से योगदान दे रही थीं। एक बेकरी में काम करने वाली 41 साल की स्वितलाना निचुक ने बताया कि हम भी यहां लड़ रहे हैं। हम सैनिकों को खाना खिलाते हैं। वहीं, जूलिया किरकिना नाम की म्यूजिकोलोजिस्ट हर शुक्रवार एक रेस्तरां में पियानो बजाती हैं। वो कहती हैं, 'संगीत आत्मा के लिए सबसे अच्छे इलाजों में से है। मेरी वोकल थेरेपी लोगों को शांत और आशावादी बने रहने में मदद करती है।'

 घबराने का समय नहीं: यूक्रेनी महिला
3,00,000 से 5,00,000 के बीच लोग शहर छोड़ कर चले गए थे। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक करीब 80 प्रतिशत महिलाएं भी शहर छोड़ कर चली गई थीं, जिसकी वहज से शहर में लगभग सिर्फ पुरुष ही रह गए थे। साइकोएनालिस्ट आइरीना विक्टोरोवना कहती हैं कि काफी नाजुक स्थिति में होने के बावजूद माइकोलाइव में कई महिलाएं खुद को पीड़ित जैसा नहीं देखती हैं। विक्टोरोवना ने बताया कि उनके पास घबराने का या खुद पर अपना नियंत्रण खो देने का समय ही नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह माना कि ब्रेकडाउन के कुछ मामले हुए जरूर हैं। 
 

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