राहुल गांधी की यात्रा से अखिलेश-जयंत ने बना ली दूरी? विपक्षी एकजुटता की मुहिम को लग सकता है झटका

 नई दिल्ली 

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा क्या विपक्षी दलों को जोड़ने में कामयाब होगी? इस सवाल के जवाब में कांग्रेस की उम्मीदें बरकरार रहने के बावजूद अन्य विपक्षी दलों का उत्साहित नहीं होना, इस पर संदेह पैदा कर रहा है। हालांकि, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनका मकसद सियासी नहीं है, बल्कि लोगों को एक खास उद्देश्य से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया है। अब यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे क्या उचित समझते हैं। कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा कि अभी देखने और इंतजार करने की जरूरत है।

राहुल की अगुवाई में चल रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली में अल्प विश्राम की अवधि पूरा होने के बाद अब यूपी में दाखिल होगी। यात्रा में कई बड़े नेताओं के शामिल होने की बात की जा रही थी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, रालोद के जयंत चौधरी, बसपा प्रमुख मायावती और अन्य नेताओं को आमंत्रण भेजे जाने के बाद सियासी चर्चा गरम हो गई। लेकिन, अब ये खबर आ रही है कि भारत जोड़ो यात्रा के यूपी पड़ाव में राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और आरएलडी नेता जयंत चौधरी शामिल नहीं होंगे। कहा जा रहा है कि इन नेताओं के पहले से कार्यक्रम तय हैं। हालांकि, इनका कोई प्रतिनिधि शामिल होगा या नहीं इस पर संशय बना हुआ है।

इसके पहले दिल्ली में भी कमल हासन को छोड़कर कोई विरोधी दल का नेता राहुल के साथ यात्रा में नहीं आया। कहा जा रहा है कि विपक्ष के तमाम नेता सैद्धांतिक रूप से यात्रा के मकसद से जुड़े हुए हैं, लेकिन राहुल की अगुवाई में यात्रा में शामिल होने से कांग्रेस को संभावित लाभ हानि के आकलन और सियासी गुणाभाग की वजह से कई नेताओं की हिचकिचाहट बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक, जयंत चौधरी ने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए यात्रा में शामिल होने से इंकार कर दिया। वहीं, अखिलेश यादव के भी यात्रा में शामिल होने की संभावना न के बराबर बताई जा रही है। जबकि बसपा से भी मायावती या सतीश मिश्रा कांग्रेस की इस यात्रा का हिस्सा नहीं बनेंगे।

भारत जोड़ो यात्रा के लिए बड़े दलों के अलावा कांग्रेस द्वारा छोटे दलों को भी साधने का काम किया जा रहा है। सलमान खुर्शीद ने ओम प्रकाश राजभर से बात की है, उन्हें यात्रा में शामिल होने के लिए कहा गया है। लेकिन, अभी तक क्योंकि उन्हें कांग्रेस द्वारा कोई औपचारिक न्योता नहीं मिला, उनका यात्रा में शामिल होना पक्का नहीं है। फिलहाल, अब कितने विपक्षी दलों के नेता यात्रा में शामिल होते हैं, ये तो समय बताएगा, लेकिन कांग्रेस का तर्क है कि विपक्ष की सभी पार्टियों की विचारधारा भाजपा और केंद्र सरकार को लेकर समान है। ऐसे में उन्हें इस यात्रा में साथ आना चाहिए।

महबूबा का मिला साथ
उधर, जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती ने यात्रा के साथ जुड़ने का ऐलान कर दिया है। उनकी तरफ से ट्वीट कर कहा गया है कि मुझे भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए न्योता मिला है। मैं राहुल गांधी की हिम्मत की दाद देती हूं और ये मेरा भी कर्तव्य है कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ उन लोगों का साथ दिया जाए, जो इसका विरोध कर रहे हैं।

सहयोगी दल के नेता जुड़े थे
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के आदित्य ठाकरे, सुप्रिया सुले यात्रा से जुड़े थे जबकि हरियाणा में यात्रा के दौरान डीएमके नेता कनिमोझी शामिल हुई थीं। जब यह यात्रा 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी तो राज्य के मुख्यमंत्री और कनिमोझी के भाई एम.के. स्टालिन ने राहुल गांधी के हाथ में तिरंगा झंडा सौंपा था। भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान का सफर तय करते हुए हरियाणा और दिल्ली पहुंची थी। अब यात्रा तीन जनवरी को यूपी में प्रवेश करेगी।

सियासी गुणाभाग की वजह
गौरतलब है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 में कई विधानसभा चुनाव है। साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना शामिल हैं। इन राज्यों के सियासी गुणाभाग के अलावा वर्ष 2024 को लेकर भी अभी से सियासी समीकरण बनाने की पर्दे के पीछे कोशिश चल रही है। लिहाजा सभी दल बहुत सधे तरीके से अपना कदम तय करना चाहते हैं। अलग अलग तरह से खेमेबंदी की कोशिश जारी है। कौन किस खेमे में जायेगा, अभी कह पाना मुश्किल है।
 

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