जल्लीकट्टू: बैलों को काबू करने का शुरू हुआ खेल, 800 खिलाड़ी लेने वाले हैं हिस्सा

तमिलनाडु

तमिलनाडु के मशहूर शहर मदुरै में रविवार को जल्लीकट्टू खेल शुरू हो गया है। इस खेल में सांडों को वश में करने की परंपरा है। स्थानीय तौर पर इस खेल का खास महत्व है और प्रशासन इसे लेकर मुस्तैद है। तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में जल्लीकट्टू आयोजनों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों को जारी किया था। मदुरै के जिला कलेक्टर ने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ तमिलनाडु सरकार के सभी नियमों का पालन करेंगे। उच्च न्यायालय से निर्देश है केवल 25 खिलाड़ी एक समय में खेलेंगे। हम 800 से अधिक खिलाड़ियों के आने की उम्मीद कर रहे हैं।"

मदुरै के जिला कलेक्टर अनीश शेखर ने कहा, "हमने जल्लीकट्टू के सुचारू संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं। सांडों के साथ-साथ खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। खेल के मैदान में सांडों के खेलने को सुनिश्चित करने के लिए 3 स्तर की बैरिकेडिंग लगाई गई है और दर्शकों की भी सुरक्षा की जाती है।"

जल्लीकट्टू क्या है?

जल्लीकट्टू जनवरी के बीच में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है। विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि वह एक सांड के कूबड़ पर कितने समय तक रहता है। यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है। तमिल शब्द 'मट्टू' का अर्थ बैल होता है, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित होता है, जो खेती में एक प्रमुख भागीदार हैं।

आंध्र प्रदेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है जल्लीकट्टू

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में जल्लीकट्टू में हिस्सा लेने के दौरान शनिवार को कम से कम 15 लोग घायल हो गए। यह खेल मकर संक्रांति उत्सव के रूप में आयोजित किया गया था, इसे भव्यता के साथ मनाया गया। इस खेल में कई उत्साही युवाओं ने भाग लिया।

जल्लीकट्टू पर जारी है बहस

जल्लीकट्टू खेल पर बहस जारी है। तर्क देने वालों का कहना है कि इस खेल को जानवरों के अधिकारों के उल्लंघन माना जाता है। दूसरी ओर लोग इसे संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की वकालत करते हैं।
 

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