चुनाव से पहले लैंडमाइंस से बचाव के गुर सीखने में जुटी पुलिस

पटना 
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बिहार पुलिस ने अपने जवानों और अधिकारियों को लैंडमाइंस से बचाव को लेकर प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक को प्रशिक्षित किया जाएगा। शनिवार से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर दिया गया। एसटीएफ और एटीएस के विशेषज्ञ इस काम में लगाए गए हैं।

नक्सलियों का सबसे कारगर हथियार है लैंडमाइंस
नक्सली आमने-सामने की लड़ाई से बचते हैं। मुठभेड़ में नुकसान का खतरा ज्यादा होने के चलते वह सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लैंडमाइंस का इस्तेमाल करते रहे हैं। अधिकतर हमलों में लैंडमाइंस का उपयोग होता है। सुरक्षाबलों को कई दफे इससे बड़ा नुकासन उठाना पड़ा है। चुनाव नजदीक है ऐसे में नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सुरक्षाबलों को निशाना बना सकते हैं। चुनाव के दौरान हर एक बूथ पर सुरक्षाबलों की प्रतिनियुक्ति होती है। आने-जाने के रास्ते में हमले की आशंका सबसे ज्यादा होती है। इसी को देखते हुए जिला पुलिस के अधिकारियों और जवानों को लैंडमाइंस से बचाव के लिए जरूरी जानकारी मुहैया कराने हेतु प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

एसआरआई जिलों की पुलिस को प्रशिक्षण
एडीजी ऑपरेशन सुशील खोपड़े के निर्देश पर 16 जिलों में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा। 19 सितम्बर से औरंगाबाद और गया से इसकी शुरुआत कर दी गई। इसके अलावा जमुई, लखीसराय, कैमूर, जहानाबाद, रोहतास, अरवल, नवादा, मुंगेर, नालंदा, मुजफ्फरपुर, बांका, वैशाली, बगहा और मोतिहारी जिला बल को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण 5 अक्टूबर तक चलेगा। 

बम निरोधक दस्ता व नक्सल के जानकार टीम में शामिल
एसटीएफ और एटीएस के बम निरोधक दस्ता के विशेषज्ञों के अलावा ट्रेनिंग देनेवाली टीम में नक्सल मामले के जानकारों को भी शामिल किया गया है। ट्रेनिंग के दौरान पुलिस अधिकारियों और जवानों को लैंडमाइंस से जुड़ीं जरूरी बातें बताई जा रही हैं। लैंडमाइंस मिलने पर क्या करना है, उससे बचाव का क्या तरीका है और वैसे संभावित स्थान जहां लैंडमाइंस हो सकते हैं, जैसी जानकारियां शामिल हैं। 

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