वॉलफोर्ट सिटी में डायरेक्टर हूं कहकर मजदूरों का हड़प लिए रुपये

रायपुर
हरिशंकर पांडेय का ओंकार कंस्ट्रशन के नाम से कंपनी है और उसने वॉलफोर्ट सिटी में डायरेक्टर हूं कहकर ग्राम सगुनी के ठेकेदार राजकुमार निषाद से संपर्क किया और लॉकडाउन अवधि में निर्माण शासन के उच्च अधिकारियों की पहुंच का धौंस दिखाकर जून माह में काम शुरू करवाया और दो सप्ताह तक नियमित भुगतान देने के बाद भुगतान देना बंद कर दिया। जब दबाव बनाया गया तो 14 हजार और 12500 का नगद भुगतान किया, इसके बाद भुगतान नहीं कर रहा था। उससे दो लाख 26 हजार रुपये लेना था, मजदूरों ने जब तक भुगतान नहीं होगा काम नहीं करेंगे की धमकी दिए तब कहीं जाकर 20 हजार रुपये नगद और 50 हजार रुपये का चेक दिया जो बाउंस हो गया। काम बंद होने से वह मजदूरी का भुगतान देने से इंकार कर रहा है। आज ठेकेदार की मौजूदगी में मजदूरों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिलकर हरिशंकर पांडेय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में ठेकेदार राजकुमार ने बताया कि पेशे से वह राजमिस्त्री है और उनके अंडर में 22 मजदूर काम करते है। लॉकडज्ञउन अवधि में काम बंद होने के कारण वे घर पर बैठे थे कि 24 जून को हरिवंश पांडे (ओंकार कंस्ट्रक्शन) वॉलफोर्ट सिटी ब्लॉक एफ 704 सातवां माला भाठागांव ने उनसे मुलाकात किया और स्वयं को वॉलफोर्ट ग्रुप का डायरेक्टर बताया और कहा कि उनका निर्माण कार्य वालफोर्ट कचना में चल रहा है जिसमें उन लोगों को काम देना है। तब हम लोगों ने उनसे पूछा कि अभी कोरोना काल और लॉकडाउन की स्थिति है हमारे खिलाफ कार्रवाई तो नहीं होगी, इस पर उन्होंने आश्वास्त करते हुए कहा कि उसकी सेटिंग शासन के उच्च अधिकारियों और सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों से है इसलिए किसी भी मजदूर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

उनकी बातों में आकर हम लोगों ने वॉलफोर्ट कचना में 24 जून से काम शुरू कर दिया और हरिवंश ने दो बार सप्ताहिक भुगतान किया जिसमें उन्होंने क्रमश: 14000 एवं 12500 रुपये नगद दिया। इसके बाद मजदूरी देना बंद कर दिया। जब उनसे कुल लेनदारी 225000 हो गया तब हम लोगों ने उनसे कहा कि मजदूरी का भुगतान करोगे तभी हम काम करेंगे, दो दिन का समय मांगने के बाद भी जब भुगतान नहीं हुआ तब हम लोगों ने काम बंद कर दिया। काम बंद होने के बाद मजदूरी की राशि देने के लिए वह आनाकानी करने लगा, जब हम लोगों ने एक दिन घेरा तब उसने 20 हजार रुपये नगद और 50 हजार रुपये का एचडीएफसी बैंक का चेक दिया जो बाउंस हो गया। लंबे समय तक भुगतान नहीं हुआ तब हम लोग वालफोर्ट ग्रुप कंपनी के मुख्यालय भाठागांव में गए तब पता चला कि हरिवंश वहां का डायरेक्ट नहीं बल्कि एक कांट्रेक्टर है और वॉलफोर्ट ग्रुप से ठेका लेकर निर्माण कार्य कर रहा है।

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