खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये शहद उत्पादन को बढ़ावा दें – कलेक्टर

मुरैना
खेती को लाभ धंधा बनाने के लिये कृषक शहद उत्पादन को बढ़ावा दें, यह कृषि को लाभ का धंधा बनाने में सहायक होगा। इसके लिये भारत सरकार ने शहद उत्पादन में 5 जिले चयनित किये है, जिसमें मध्यप्रदेश का मात्र मुरैना जिला शहद उत्पादन के लिये चयनित किया गया है। हम सभी को यह प्रयास करने होंगे कि मुरैना का शहद अच्छी मात्रा में पैकिंग होकर देश के कोने-कोने में जायें, जिससे मुरैना का नाम भी रोशन होगा और किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके लिये अधिक से अधिक किसान मधुमक्खी पालन की ओर प्रेरित हों। यह बात कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कृषि विज्ञान केन्द्र मुरैना में एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुये कही। इस अवसर पर जिला उद्योग केन्द्र के प्रबंधक अनूप चैबे, क्षेत्रीय संचालक एमपी कोन शहद इकाई के आशीष भार्गव, कृषि वैज्ञानिक डा. बाईपी सिंह, डा. अशोक यादव, जौरा खादी ग्रामोद्योग के सचिव रनसिंह, क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र के प्रभारी एमपी सिंह, मुरैना जिला खादी एवं ग्रामोद्योग संघ के गजेन्द्र सिह गुर्जर, उद्यानिकी, कृषि विभाग के अधिकारी, मध्यप्रदेश राज्य डे ग्रामीण आजीविका मिशन के डीपीएम दिनेश तोमर, बानमौर-मुरैना के उद्योग संचालक, कृषक तथा स्व-सहायता समूह की महिलायें उपस्थित थीं।    
    
कलेक्टर वर्मा ने कहा है कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये एक जिला एक उत्पाद के लिये प्रयास किये जा रहे है, इसके लिये मुरैना जिले को शहद उत्पादन के लिये चयनित किया गया है। इसमें उद्योग संचालक इसमें रूचि लेकर उत्पादन होने वाले शहद को प्रोसेसिंग, पैकेजिंग करके एक अच्छा ब्रांड तैयार करें, जो देश के कोने-कोने में शहद पहुंचकर मुरैना का नाम रोशन कर सके। कलेक्टर ने कहा कि रौ मटेरियल भी आसानी से प्राप्त हो जायेगा, जिसके लिये कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा कृषकों एवं व्यापारियों को प्रशिक्षण बतौर बता दिया जायेगा। हमारे जिले में 6 लाख बाॅक्स लगाने की क्षमता है, जबकि अभी मात्र 1 लाख बाॅक्स ही जिले में लगे हुये है। शहद लोंगो के लिये बहुत लाभदायक है, पहले शहद का उपयोग नहीं किया जाता था, किन्तु आज हर व्यक्ति स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुये शहद के लिये रूख करने लगा है। उन्होंने कहा कि मुरैना में विशेषकर गजक का उत्पादन किया जा रहा है, इसके अलावा सबसे अधिक मात्रा में पीला सोना (सरसों) की पैदावार होती है, जिससे तेल की मात्रा अधिक तादायत में प्राप्त होती है। इसके साथ ही मुरैना के स्ट्राॅन कटिंग की मांग देश के अलावा विदेशों में बहुत तादायत में की जा रही है। अब भारत सरकार ने शहद उत्पादन के लिये भी मुरैना को चयनित किया है। इन सभी से लोंग जुड़े और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के साथ-साथ शहद उत्पादन में मुरैना का नाम रोशन करें।
    
खादी ग्रामोद्योग के सचिव रनसिंह ने कहा कि मुरैना के लोंगो के लिये यह बहुत बड़ी खुश खबरी है कि केन्द्रीय कृषि मंत्री भी मुरैना से ब्लांग करते हुये, कृषि के क्षेत्र में जितना सहयोग बन पड़ेगा, वे करने के लिये तैयार है, रही बात शहद उत्पादन में जब शासन-प्रशासन तकनीकी ज्ञान एवं मशीनरी उपलब्ध करा रहा है तो मधुमक्खी पालन को मुरैना जिले में विस्तार रूप देना अतिआवश्यक है। 100 गांव के कृषक यह धारणा बनायें कि हमें शहद को बढ़ावा देना है तो इससे एक हजार लोगों को अवश्य रोजगार मिल सकेगा।   

कृषि वैज्ञानिक डा. बाईपी सिंह ने कहा कि शहद के लिये मुरैना की एक पहचान बनें, इसमें कृषि आंचलिक अनुसंधान केन्द्र का कृषकों को हर पग पर सहयोग मिलेगा, जिसमें मशीनरी से लेकर कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन भी दिये जायेंगे। इसमें निवेशकों की बहुत बड़ी भूमिका रहेगी। इसके लिये व्यापारियों को सकारात्मक रूप में कार्य करने होंगे। कैट के जिलाध्यक्ष रवीन्द्र माहेश्वरी ने कहा कि मुरैना जिला सरसों के तेल के लिये अग्र्रणी माना जाता है, सरसों के फूल से मधुमक्खी द्वारा शहद संग्रहित होता है, इसके अलावा जिले में सूरजमुखी को भी बढ़ावा दिया जाये तो जिले में तेल व शहद उत्पादन बड़ी मात्रा में पैदा किया जा सकता है।  
    
कार्यक्रम में डा. अशोक यादव ने मधुमक्खी पालन की उपयोगिता, मधुमक्खी की प्रजातियां, मधुमक्खी आवास परिवार व संगठन जीवन चक्र, विभिन्न स्वरूपों की विकास अवधि, मधुमक्खी पालन की अनिवार्यतायें, मधुमक्खी पालन के लिये आवश्यक उपकरण व औजार, मौसम एवं मधुमक्खी प्रबंधन, मधुमक्खियों का परभक्षी एवं परिजीवियों से बचाव, मधुमक्खियों के रोग व उपचार, मधुमक्खी पालन के प्राप्त उत्पाद और मधुमक्खी एवं फसल प्रागण के बिन्दुओं पर प्राथमिकता से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन जिला उद्योग केन्द्र के प्रबंधक अनूप चैबे ने किया।

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