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63वां बर्थडे मना रहे ‘रामायण’ के ‘राम’ अरुण गोविल

क्या आप जानते हैं कि अगर ताराचंद बड़जात्या और सूरज बड़जात्या न होते तो अरुण गोविल को 'रामायण' में राम के रोल के लिए साइन नहीं किया जाता? रामानंद सागर ने इस रोल के लिए अरुण गोविल को पहले रिजेक्ट कर दिया था। तो फिर सूरज बड़जात्या की बदौलत अरुण गोविल कैसे राम बने?
दरअसल एक इंटरव्यू में अरुण गोविल ने बताया था कि जब वह रामानंद सागर की 'रामायण' में भगवान राम के रोल के लिए ऑडिशन देने गए तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद ताराचंद और सूरज बड़जात्या ने उन्हें सलाह दी कि वह राम के किरदार के लिए लुक टेस्ट के दौरान अपनी स्माइल का प्रयोग करें। बड़जात्या परिवार राजश्री प्रॉडक्शन्स का मालिक था और उसके साथ अरुण गोविल ने कई फिल्में कीं। ताराचंद, सूरज बड़जात्या के दादा थे।
अरुण गोविल ने सूरज बड़जात्या की उस बात को गांठ बांध लिया और राम के रोल के लिए लुक टेस्ट के दौरान अपने सिग्नेचर स्टाइल में स्माइल दी। यही स्माइल रामानंद सागर को भा गई और उन्हें लगा कि अरुण गोविल राम के रोल के लिए एकदम परफेक्ट हैं। बस यहीं से अरुण गोविल के करियर की दिशा ही बदल गई।
अरुण गोविल ने राम का ऐसा किरदार निभाया जो दुनिया भर में अमर हो गया। लोग उन्हें सच में भगवान राम मानकर पूजने लगे। आज भी अरुण गोविल को राम के किरदार से ही जाना जाता है।