ओली की भारतीय इलाकों पर भड़काऊ बोली, पिथौरागढ़ सीमा के नजदीक बढ़ी हलचल

नई दिल्ली 
उतराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी पर दावों के महीनों बाद नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने रविवार को एक बार फिर यह राग छेड़ दिया। इस बार तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि उनका देश भारत से इन तीनों इलाकों को वापस लेकर रहेगा। ओली की भड़काऊ बोली के बाद इन इलाकों में सीमा के उस पार हलचल बढ़ गई है। देश में कुछ महीनों बाद होने जा रहे चुनाव से पहले नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने सीमा से सटे इलाकों में गतिविधि बढ़ा दी है और लोगों को भड़काना शुरू कर दिया है।  ये तीनों इलाके पिछले साल तब सुर्खियों में आ गए जब 8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धारचुला को लिपुलेख से लोड़ने वाली एक सड़क का उद्घाटन किया। इसके बाद चीन के पीएम ने दावा किया कि ये तीनों इलाके नेपाल का हिस्सा हैं। 

रविवार को ओली की ओर से किए गए दावे और धमकी के बाद नेपाल के दारचुला जिले में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। नेपाल का दारचुला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से सटा हुआ है, जहां तीनों विवादित इलाके मौजूद हैं। भारत के कदम के बाद नेपाल की सरकार 87 किलोमीटर लंबी दारचुला-टिंकर सड़क का निर्माण भी कर रही है। अधिकारियों के मुताबिक, इन तीन इलाकों में कुल सात गांव हैं और कुल जनसंख्या 6000 है। सीमा विवाद के बीच ये लोग जोर देते हैं कि वे सदियों से भारतीय हैं और नेपाल का इन इलाकों पर कोई अधिकार नहीं है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, ''रविवार को पीएम ओली के बयान के बाद दारचुला में सीमा के नजदीक एक गांव में सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से एक राजनीतिक कार्यक्रम किया गया है।'' अधिकारी ने कहा, ''इस इवेंट में नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए थे। सत्ताधारी पार्टी के एक स्थानीय नेता ने भड़ाकाऊ भाषण देते हुए इलाके के लोगों को एकजुट होकर भारत से इन इलाकों को वापस लेने की अपील की।'' पिथौरागढ़ में दोनों देशों के बीच पांच बॉर्डर क्रॉसिंग पॉइंट को कोविड-19 महामारी की वजह से बंद किया जा चुका है।  

सीमा के इस ओर के लोगों का कहना है कि ओली के ताजा बयान से सीमा के दनों ओर बेवजह राजनीतिक तनाव पैदा होगा। भारत-नेपाल सीमा पर गुंजी गांव के निवासी गुरेंद्र संवाल ने कहा, ''सीमा के दोनों ओर के लोगों के बीच अच्छे रिश्ते हैं, व्यापार और सामाजिक कार्यों की वजह से वे आर-पार जाते रहे हैं। मामले के एक बार फिर उठने के बाद तनाव होगा जोकि दोनों ओर के लोगों के लिए ठीक नहीं है, जो कोई राजनीति नहीं चाहते हैं। हम भारत के निवासी हैं और हमेशा रहेंगे।'' इस मामले में जब पिथौरागढ़ के डीएम विजय जोगडांडे से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ''हम और कुछ नहीं कर सकते हैं, या नेपाल में होने वाले घटनाक्रम से चिंता की आवश्यकता नहीं है। सीमा के दोनों ओर राजनीतिक इवेंट हो सकते हैं, लेकिन हम इसको लेकर कुछ नहीं कर सकते। बॉर्डर पेट्रोलिंग एजेंसियां हमेशा की तरह अलर्ट पर हैं और बॉर्डर क्रॉसिंग पॉइंट्स कोविड-19 महामारी की वजह से बंद हैं।'' कई प्रयासों के बावजूद दारचुला के जिला अधिकारी से संपर्क नहीं किया जा सका। दोनों देशों के बीच रिश्ता पिछले साल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब केपी ओली सरकार ने संविधान में संशोधन करके नया राजनीतिक नक्शा पास किया जिनमें भारतीय इलाकों को शामिल किया गया था। इसके बाद भी ओली ने कई मुद्दों पर भारत विरोधी बयानबाजी की।

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