भारत का तेजस चीन के JF-17 से बेहतर, खरीदने में कई देशों ने दिखाई दिलचस्पी: HAL चीफ

नई दिल्ली
चीन और पाकिस्तान से मिलती चुनौतियों को देखते हुए भारतीय सेना अपनी ताकत को लगातार बढ़ा रही है। राफेल जैसे ताकतवर लड़ाकू विमान को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी भारतीय वायुसेना को हल्के लड़ाकू विमान तेजस की आपूर्ति मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी। कुल 83 जेट की आपूर्ति होने तक हर साल करीब 16 विमानों की आपूर्ति की जाएगी। यह जानकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर. माधवन ने रविवार को दी। माधवन ने साक्षात्कार में कहा कि कई देशों ने तेजस विमान खरीदने में रूचि दिखाई है और अगले कुछ वर्षों में पहला निर्यात ऑर्डर मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि तेजस मार्क 1ए विमान का प्रदर्शन चीन के जेएफ-17 की तुलना में ज्यादा उत्कृष्ट है क्योंकि इसका इंजन, रडार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सुइट बेहतर है। इसके अलावा इसकी पूरी प्रौद्योगिकी बेहतर है।

हवा में ईंधन भरने की क्षमता
उन्होंने कहा, ‘सबसे बड़ा अंतर हवा से हवा में ईंधन भरने का है जो कि प्रतिद्वंद्वी के विमान में मौजूद नहीं है।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल की समिति (सीसीएस) ने 13 जनवरी को 48 हजार करोड़ रुपये की लागत से 73 तेजस एमके-1ए विमान और दस एलसीए तेजस एमके-1 प्रशिक्षण विमान एचएएल से खरीदने को मंजूरी दी ताकि भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाया जा सके। माधवन ने कहा कि विमान की मूल लागत 25 हजार करोड़ रुपये है जबकि 11 हजार करोड़ रुपये का इस्तेमाल हवाई अड्डों पर सहायक उपकरण एवं अन्य ढांचे के विकास में इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं करीब सात हजार करोड़ रुपये सीमा शुल्क और जीएसटी पर खर्च होगा। एचएएल के अध्यक्ष ने कहा कि विमान के हर लड़ाकू संस्करण की कीमत 309 करोड़ रुपये होगी और प्रशिक्षण विमान की कीमत 280 करोड़ रुपये है। माधवन ने कहा, ‘कीमत थोड़ी अधिक है लेकिन यह ठीक है।’ 48 हजार करोड़ की कुल लागत में 2500 करोड़ रुपये डिजाइन और विकास लागत है जो एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को दिया जाएगा और करीब 2250 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा विनिमय दर के लिए रखा गया है। तेजस एमके-1ए सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड रडार, मिसाइल की दृश्यता सीमा से परे की तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सुइट और हवा से हवा में ईंधन भरने की प्रणाली से लैस होगा।

फरवरी में औपचारिक हस्ताक्षर की उम्मीद
सौदे के लिए एचएएल और भारतीय वायुसेना के बीच पांच फरवरी को एयरो इंडिया प्रदर्शनी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में औपचारिक हस्ताक्षर होने की संभावना है। माधवन ने कहा, ‘ढांचागत विकास और विमान की आपूर्ति के लिए तीन वर्ष की सामरिक समय सीमा है। हम समय सीमा का पालन करेंगे। पहले विमान की आपूर्ति मार्च 2024 में होने की संभावना है।’ उन्होंने कहा, ‘शुरू में हम चार विमानों की आपूर्ति करेंगे और 2025 से प्रति वर्ष इसे बढ़ाकर 16 करेंगे।’ यह पूछने पर कि क्या संभावित निर्यात ऑर्डर से भारतीय वायुसेना को आपूर्ति करने की समय सीमा आगे बढ़ने की संभावना है तो माधवन ने कहा कि घरेलू ऑर्डर के लिए एचएएल समय सीमा का कड़ाई से पालन करेगा और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त उत्पादन लाइन स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम प्रति वर्ष 16 विमान निर्माण की योजना बना रहे हैं ताकि अगर कोई और ऑर्डर आता है तो हम उसे पूरा कर सकें। हम उत्पादन की रफ्तार बढ़ा रहे हैं।’ भारतीय वायुसेना तेजस विमान के पहले जत्थे को 40 विमानों के साथ अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। माधवन ने कहा कि तेजस कार्यक्रम से भारत में एयरोस्पेस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और कहा कि इसमें वर्तमान में 563 घरेलू उपक्रम शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘और यह 600 से 650 तक हो जाएगा। यह महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र लद्दाख सहित सभी क्षेत्रों में अन्य विमानों की ही भांति तेजस भी प्रभावी तरीके से संचालित किया जा सकेगा।
 

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