हरड़ के दाम भारत-पाक के बिगड़ते संबंधों से लगातार गिर रहे, सिरमौर के किसानों को हो रहा नुकसान

नाहन
पिछले लंबे समय से भारत व पाकिस्तान के रिश्तो में कड़वाहट आने से जिला सिरमौर के किसानों को हरड़ उत्पादन में काफी नुकसान हो रहा है। दोनों देशों के रिश्तों में लगातार कड़वाहट आने से पाकिस्तान में भारी मांग की जाने वाली अदरक, सोंठ हरण के उचित दाम किसानों को नहीं मिल रहे हैं। जबकि सिरमौर के किसान अदरक व हरड़ को सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर है। बता दें कि हरड़ का आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल होती है। पाकिस्तान में सिरमौर जिला के हरड़ की वर्षों से काफी मांग रहती है। जानकारों का मानना है कि भारत पाकिस्तान के रिश्तो में कड़वाहट के चलते पंजाब तथा राजस्थान के कुछ आड़ती गुपचुप तरीके से हरड़ तथा अदरक को पाकिस्तान भेजते हैं। मगर उत्पादकों को फिर भी अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। जिला सिरमौर के पच्छाद व नाहन उपमंडल के क्षेत्र की जलवायु हरड़ की पैदावार के लिए उपयुक्त है। मगर प्रदेश सरकार ने हरड़ उत्पादन के लिए कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई। हरड़ उत्पादन के लिए किसानों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। कुछ पौधे तो प्राकृतिक रूप से किसानों के खेतों में उग जाते हैं। जबकि कुछ पौधे हाइब्रिड हरड़ की प्रजाति किसानों द्वारा लगाई गई है। हरड़ का उत्पादन जिला सिरमौर के अतिरिक्त कांगड़ा जिला के कुछ क्षेत्र तथा सिरमौर की सीमा के साथ लगते हरियाणा राज्य के मोरनी हिल्स में भी होती है। जबकि जिला सिरमौर के किसान हरड़ को स्थानीय लाइसेंस प्राप्त आड़ती को बेच देते हैं तथा यह आडती हरड़ को सिरमौर से दिल्ली, अमृतसर, होशियारपुर व उदयपुर मंडी में भेजते हैं।

लाइसेंस फ्री होनी चाहिए हरड़ बेचने की प्रक्रिया
जिला सिरमौर के किसान प्रदेश सरकार से लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि हरियाणा की मोरनी हिल क्षेत्र की तरह हिमाचल में भी किसानों को अपनी हरड़ बेचने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। हिमाचल में किसानों को हरड़ बेचने के लिए वन विभाग से लाइसेंस लेना पड़ता है तथा इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है। जिसके चलते किसान हरड़ को आड़तियों को सस्ते दामों में बेच देते हैं।

त्रिफला व आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है हरड़ का प्रयोग
हरड़ का प्रयोग भारत व पाकिस्तान में आयुर्वेदिक दवाइयों के अतिरिक्त त्रिफला बनाने में किया जाता है। भारत तथा पाकिस्तान के लोग हरड़ का उपयोग पाचन शक्ति मजबूत करने की औषधि के रूप में भी करते हैं। जिसके चलते पाकिस्तान में सिरमौर के हरड़ की भारी मांग रहती है।

 15 से 25 प्रति किलो है इन दिनों हरड़ का दाम
जिला सिरमौर में उत्पादित हरड़ का दाम इन दिनों किसानों को 15 से लेकर 25 प्रति किलो तक आड़ती दे रहे हैं। हरड़ की 4 वैरायटी तैयार की जाती है। जिसे की एबीसीडी केटागिरी में बांटा जाता है। उसके अनुसार ही किसानों से हरड़ आड़ती खरीदते हैं। इसके अतिरिक्त आड़तीयों की मांग पर कुछ किसान हरड़ की बुनाई भी करते हैं। बुनी हुई हरण का मूल्य 70 से लेकर 100 प्रति किलो तक चल रहा है।

भारत-पाक संबंधों में सुधार होने पर किसानों को मिल सकते हैं हरड़ के बेहतर दाम
आगामी समय में यदि भारत और पाकिस्तान के रिश्तो में सुधार होता है तथा पाक से व्यापार फिर से शुरू होता है। तो जिला सिरमौर के किसानों व बागवानों को इसका भारी लाभ होगा। क्योंकि जिला सिरमौर में उत्पन्न होने वाली हरड़, अदरक व सूंठ कि पाकिस्तान में भारी मांग रहती है। जैसे ही पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू होगा। सिरमौर के अदरक व हरड़ की मांग बढ़ने के साथ किसानों को उचित दाम भी मिलेंगे।

 

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