फडणवीस ने बातचीत के लिए शिवसेना की तरफ बढ़ाया हाथ, उपचुनाव के नतीजों से महाराष्ट्र में हलचल

मुंबई
महाराष्ट्र की दो लोकसभा सीटों (गोंदिया-भंडारा और पालघर) और एक विधानसभा सीट (पलूस काडेगांव) पर हुए उपचुनाव की नतीजे ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। पालघर में बीजेपी अपनी सीट बचाने में कामयाब रही, वहीं गोंदिया-भंडारा और पलूस काडेगांव में उसे हार का सामना करना पड़ा। गोंदिया-भंडारा में एनसीपी और पलूस काडेगांव में कांग्रेस को जीत मिली। 
 
ऐसे में पहले से ही बीजेपी से खफा चल रही शिवसेना ने तीखा वार किया है। शिवसेना के चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बीजेपी को अब दोस्त की जरूरत नहीं है। उद्धव के तेवर को देखते हुए चर्चा है कि शिवसेना अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार से अलग हो सकती है या फिर बाहर से समर्थन देने की सोच रही है। इसकी भी संभावना है कि वह शरद पवार की एनसीपी के साथ हाथ मिला ले। यदि ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में बड़ी मुश्किल हो जाएगी। यही वजह है कि बीजेपी और शिवसेना की दोस्ती पर खतरा मंडराते देख खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आगे आए हैं। 

 
फडणवीस ने कहा, 'हमलोग बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं। हमें नहीं लगता है कि हमारा गठबंधन टूटेगा, लेकिन दोस्ती बचाने की कोशिश दोनों तरफ से होनी चाहिए। हमलोग शिवसेना के साथ बातचीत को तैयार हैं।' 

'जनता ने योगी की मस्ती उतार दी' 
इससे पहले शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने चार लोकसभा सीटों और 10 विधानसभा सीटों पर मिली हार पर बीजेपी पर तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा कि बीजेपी को अब दोस्तों की जरूरत नहीं है। उद्धव ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी तीखी आलोचना की। शिवसेना चीफ ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ अपने ही घर (यूपी) में हार रहे हैं और वह चुनाव प्रचार करने यहां (महाराष्ट्र) आते हैं। जनता ने योगी की मस्ती उतार दी है।' 

उल्लेखनीय है कि भंडारा-गोंदिया की सीट बीजेपी नेता नाना पटोले के इस्तीफे से खाली हुई थी, जो मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए कांग्रेस में चले गए। यह सीट मूल रूप से एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल की थी, जो 2014 में पटोले से हारे थे। एनसीपी ने इस सीट से मधुकरराव कुकड़े को उतारा, जबकि उनके सामने बीजेपी से हेमंत पटेल थे। बीजेपी को रोकने के लिए जहां कांग्रेस ने उसका पूरा साथ दिया, वहीं दूसरी शिवसेना ने भी अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। ऐसे में पटोले और पटेल ने मिलकर बीजेपी के हेमंत को पटखनी दे दी। 

 
पालघर में इसलिए हारी शिवसेना 
दूसरी ओर पालघर की सीट पर जहां बीजेपी ने अपने आदिवासी नेता चिंतामणि वनगा के मौत के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र गावित को मैदान में उतारा, वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने बीजेपी को चुनौती देते हुए वनगा के बेटे श्रीकांत वनगा को टिकट दे दिया। शिवसेना को उम्मीद थी कि श्रीकांत को पिता की मौत के बाद सहानुभूति वोट मिलेंगे। लेकिन महाराष्ट्र में एक स्थानीय दल बहुजन आधाड़ी दल ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर वोट काटने को काम किया, नतीजा शिवसेना को हार का मुंह देखना पड़ा। 

प्रदेश की एकमात्र विधानसभा सीट (पलूस काडेगांव) पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस इसलिए निर्विरोध सीट निकाल ले गई, क्योंकि यहां कांग्रेस नेता पतंगराव कदम की मौत से खाली सीट पर उतरे उनके बेटे विश्वजीत के सामने शिवसेना, बीजेपी व एनसीपी ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। 

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