दिल्ली: अचानक फिर बढ़ने लगे कोरोना केस, विशेषज्ञ बोले- लापरवाही पड़ सकती है भारी

नयी दिल्ली
देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस ने दोबारा से अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां भी फरवरी महीने में सबसे ज्यादा कोरोना मामले आ चुके हैं। दिल्ली में शुक्रवार को कोविड-19 के 256 नए मामले सामने आए, जो फरवरी में एक दिन में आए सबसे अधिक मामले हैं। साथ ही, यहां इस दौरान एक मरीज की मौत भी हुई। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि लोग बेफिक्र हो चुके हैं और कोरोना गाइडलाइंस को कोई भी फॉलो नहीं कर रहा है। इसी वजह से मामलों में तेजी देखी जा रही है।

हर दिन 200 से ज्यादा मामले
अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी सामने आई है। यह लगातार तीसरा दिन है जब कोरोना वायरस के रोजाना मामले 200 या उसके पार चले गये हैं। राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 220 तथा बुधवार को 200 नए मामले आए थे । उससे पहले एक से लेकर 23 फरवरी तक रोजाना मामले 200 के नीचे रहे। दिल्ली में 28 जनवरी को कोविड-19 के 199 नए मामले सामने आए थे।

फिलहाल संक्रमण दर 0.41 फीसद
सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक, 'महानगर में शुक्रवार को 256 नये मामले सामने आने से संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 6,38,849 हो गया है। यहां फिलहाल संक्रमण दर 0.41 फीसद है। स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, पिछले दिन 62,768 जांच की गईं, जिसके बाद ये नए मामले सामने आए। दिल्ली में 16 फरवरी को कोविड-19 के 94 नए मामले आए थे, जो नौ महीनों में सबसे कम है। नवीनतम बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली में शुक्रवार को 1231 मरीज उपचाराधीन थे जबकि उसके पिछले दिन ऐसे मरीज 1169 थे।

नए वैरिएंट को हल्के में नहीं लेना
कोरोना वायरस का नया वैरिएंट सामने आया है, जिस वजह से ज्यादा मामले कोरोना के सामने आ रहे हैं। इसे लेकर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने लोगों को चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों में पहले से कोरोना की एंटीबॉडीज़ हैं, उन्हें भी कोरोना के नए वैरिएंट से खतरा है। भारत में एक बार फिर से बड़े पैमाने पर कोरोना के टेस्ट की जरूरत है। ऐसे में, डॉक्टर्स आज भी मास्क लगाने को सबसे ज्यादा जरूरी मान रहे हैं। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर (जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थोपेडिक्स) डॉ. कौशल कांत मिश्रा कहते हैं, ‘कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट के बारे में हमें ज्यादा कुछ नहीं पता है, इसलिए ये बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि हम सुरक्षित हैं। अभी अगले एक साल तक सभी लोगों को मास्क लगाना चाहिए। यहां तक कि वे भी मास्क लगाएं जो कोरोना से ठीक हो गए हैं। नए वैरिएंट से वही सुरक्षित है, जिसे उस वैरिएंट के लिए तैयार वैक्सीन लगाई गई हो।’ बकौल डॉ. कौशल, 'जिस तरह महाराष्ट्र में कोरोना के केस एक बार फिर बढ़ रहे हैं, अगर पूरे देश में ऐसे हाल होंगे तो सरकार फिर से लॉकडाउन लगाने पर मजबूर हो सकती है।'

हर्ड इम्यूनिटी की गलतफहमी
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल कहते हैं, ‘वैक्सीनेशन अभी सिर्फ डॉक्टरों को ही हुआ है, वह भी सबको नहीं। तो इसलिए यह सोचना कि वैक्सीनेशन कोरोना के प्रसार को रोकेगा, यह गलत है। जहां तक अगर कोई यह सोच रहा है कि हर्ड इम्यूनिटी बन गई है, तो वह कम से कम 50 प्रतिशत लोगों के वैक्सीन बनने के बाद ही बनेगी। अभी तो हमारे यहां बहुत ही कम लोगों को वैक्सीन लग पाई है। फिर अगर कोई यह सोच रहा है कि उसे अब तक कोरोना नहीं हुआ है, तो आगे क्या होगा, यह वही सोच हुई कि आज तक मेरा एक्सिडेंट नहीं हुआ है, तो आगे भी नहीं होगा।’ सीनियर रेजिडेंट रेडियॉलजिस्ट डॉ. सौरभ सच्चर कहते हैं, 'वैक्सीन के दोनों डोज लगने के दो-तीन हफ्ते के बाद ही इंसान में इससे बचने की क्षमता पैदा होती है और अभी तक हिंदुस्तान में ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे। इसलिए जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है।'
 

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