जांच में मिल रही क्लीन चिट, रेप के ‘हथियार’ से कर रहे दुश्‍मनों का शिकार 

 गोरखपुर  
आधी आबादी पर बुरी नजर रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बच्चियों संग हैवानियत के आंकड़ें भी चिंताजनक हैं। महिला अपराधों पर बने सख्त कानून के चलते गुनहगार तेजी से शिकंजे के पीछे भेजे जा रहे हैं। वहीं इस सख्त कानून की आड़ में आपसी रंजिश या फिर ब्लैकमेल करने में रिश्तों का भी ‘रेप’ हो रहा है। आलम यह है कि वर्ष 2017 से 2019 तक रेप के आरोप में 217 बेगुनाह जेल जा चुके हैं। इनको विवेचना में क्लीनचिट मिल चुकी है या वे कोर्ट से दोषमुक्त हो चुके हैं। हालांकि 2020 के आंकड़ों की पड़ताल जारी है लेकिन यह आंकड़े भी कम नहीं है इसकी गवाही चार केस दे रहे हैं।

महिला अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस-प्रशासन काफी सख्त है। पीड़िता के बयान को आधार मानकर तत्काल गिरफ्तारियां की जा रही हैं। वहीं कुछ महिलाएं या उनके परिचित इसका फायदा फर्जी तरीके से रेप या छेड़खानी के आरोप में फंसाने में भी कर रहे हैं। पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से 2019 तक 217 लोग रेप के फर्जी आरोप में जेल चले गए थे। इनमें से 198 को पुलिस ने अपनी विवेचना में क्लीनचिट दी। जांच के दौरान पता चला कि अपनी दुश्मनी निकालने या फिर ब्लैकमेल कर पैसा वसूलने के लिए उन्हें फंसाया गया था। वहीं 19 ऐसे मामले आए जिसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया था पर कोर्ट ने सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को निर्दोष पाते हुए बरी कर दिया। 2020 में भी रेप की शिकायत या फिर जेल जाने वालों की संख्या 50 से कम नहीं है।

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